धर्म डेस्क: 27 अप्रैल, शुक्रवार की रात 12 बजे सूर्यदेव भरणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 11 मई को शाम 06:13 तक सूर्यदेव यहीं पर रहेंगे। सूर्यदेव के भरणी नक्षत्र में इस प्रवेश का असर विभिन्न नामाक्षर और नक्षत्र वाले लोगों पर होगा। तो सूर्यदेव के भरणी नक्षत्र में इस प्रवेश का किस नामाक्षर और नक्षत्र वाले व्यक्ति पर क्या प्रभाव होगा और उस स्थिति में शुभता सुनिश्चित करने के लिये और अशुभ फलों से बचने के लिये आपको क्या उपाय करने चाहिए। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से...
भरणी, कृतिका और रोहिणी नक्षत्र
जिन लोगों का जन्म भरणी, कृतिका और रोहिणी नक्षत्र में हुआ हो या जिन लोगों का नाम ‘ल’ से, ‘अ’ से, ‘ई’ से, ‘उ’ से, ‘ए’ से और ‘व’ अक्षर से शुरू होता हो, उन लोगों को 11 मई तक अग्नि से संबंधित चीज़ों जैसे बिजली, गैस-चूल्हा आदि के साथ बड़ी ही सावधानी पूर्वक काम लेना चाहिए। साथ ही अगर आप इस दौरान नया घर बनाने की सोच रहे हैं, तो उसे 11 मई तक टालना ही अच्छा होगा। सूर्यदेव की अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिए 11 मई तक-सुबह के समय अपने घर का बरामदा, खिड़कियां और दरवाजें खुले रखें, ताकि सूर्य का उचित प्रकाश आपके घर के अन्दर आ सके। साथ ही 11 मई तक प्रतिदिन कुछ देर सूर्य की रोशनी में जरूर बैठें।
मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग
इन नक्षत्र में जन्में लोग या फिर जिन लोगों का नाम ‘व’ अक्षर से, ‘क’ अक्षर से, ‘घ’ अक्षर से, ‘ङ’ अक्षर से, ‘छ’ अक्षर से, ‘ह’ अक्षर से और ‘ड’ अक्षर से शुरू होता है, उन लोगों के जीवन की गति 11 मई तक कुछ थम-सी जायेगी। आपको कुछ बोरियत भी हो सकती है, जिसकी वजह से आपके कामों में देरी होगी। अतः अपने कामों की गति को बनाये रखने के लिए रात को सोते समय अपने सिरहाने पर 5 मूली या फिर 5 बादाम रखकर सोएं और अगले दिन सुबह उठकर सिरहाने पर रखें उन बादाम या मूली को किसी धर्मस्थल पर या मन्दिर में दान दे आयें। इससे आपके कामों की गति बनी रहेगी।
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