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आज सूर्य कर रहा है भरणी नक्षत्र में प्रवेश, इस नाम के लोग रहें सतर्क

आज दोपहर 12 बजकर 8 मिनट पर सूर्यदेव भरणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 11 मई की सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक सूर्यदेव यहीं पर रहेंगे। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए आपके जीवन पर क्या पड़ेगा प्रभाव।

आज सूर्य कर रहा है भरणी नक्षत्र में प्रवेश, इस नाम के लोग रहें सतर्क- India TV Hindi आज सूर्य कर रहा है भरणी नक्षत्र में प्रवेश, इस नाम के लोग रहें सतर्क

आज वैशाख शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्थी और सोमवार का दिन है । चतुर्थी तिथि आज दोपहर 2 बजकर 30 मिनट तक रहेगी | उसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जायेगी । आज दोपहर 12 बजकर 8 मिनट पर सूर्यदेव भरणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 11 मई की सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक सूर्यदेव यहीं पर रहेंगे। सूर्य का अर्थ है- ‘सर्व प्रेरक’ । यह सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से सर्व कल्याणकारी है। नवग्रहों में सूर्य सर्व प्रमुख देवता हैं। सूर्यदेव को आत्मा का कारक माना गया है, यह पिता का प्रतिधिनित्व करते है। लिहाजा यह पुरुष ग्रह है। इनका वर्ण लाल है इनकी दो भुजाएं हैं वे कमल के आसन पर विराजमान हैं; उनके दोनों हाथों में कमल सुशोभित हैं। सात घोड़ों वाले इनके रथ में एक ही चक्र है, जो संवत्सर कहलाता है।

आकाशमंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से दूसरा भरणी नक्षत्र को माना जाता है। भरणी का अर्थ होता है - भरण-पोषण करना। भरणी नक्षत्र के स्वामी शुक्राचार्य हैं और इसकी राशि मेष है। अत: इसके चारों चरण मेष राशि में ही आते हैं। इसके अलावा भरणी नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह त्रिकोण आकृति को माना जाता है, जबकि वनस्पतियों में इसका संबंध आंवले के पेड़ से बताया गया है। भरणी नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक सच बोलने वाले, धार्मिक कार्यों के प्रति रूचि रखने वाले, उत्तम विचारों के धनी, साहसी, प्रेरणादायक, रचनात्मक क्षेत्रों में सफल, चित्रकारी और फोटोग्राफी में अभिरुचि रखने वाले होते हैं। साथ ही ये लोग कठिन से कठिन कार्य करने से भी नहीं घबराते हैं और अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण भरणी नक्षत्र के जातक अपने जीवन में कई बार विफल होने के बाद भी हार नहीं मानते और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करते रहते हैं और अंतत: अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफल भी होते हैं। सूर्यदेव के भरणी नक्षत्र में इस प्रवेश का असर विभिन्न नामाक्षर और नक्षत्र वाले लोगों पर होगा। तो सूर्यदेव के भरणी नक्षत्र में इस प्रवेश का किस नामाक्षर और नक्षत्र वाले व्यक्ति पर क्या प्रभाव होगा और उस स्थिति में शुभता सुनिश्चित करने के लिये और अशुभ फलों से बचने के लिये आपको क्या उपाय करने चाहिए। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से। 

आज देर रात 12 बजकर 29 मिनट तक मृगशीर्ष या मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। 27 नक्षत्रों में से मृगशिरा पांचवां नक्षत्र है। मृगशिरा का अर्थ है - हिरण का सिर। इसी के आधार पर मृगशिरा नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह भी हिरण के सिर को ही माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र व्यक्ति की चंचल, कोमल, सौम्य और कल्पनाशील स्वभाव की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है। इस  साथ घुलने-मिलने में समय लगता है। इसके अलावा आपको बता दूं कि मृगशिरा नक्षत्र के पहले दो चरण वृष राशि में आते हैं, जबकि शेष दो चरण मिथुन राशि में आते हैं। इसके स्वामी मंगल है। साथ ही इस नक्षत्र का संबंध खैर के पेड़ से बताया गया है। अत: जिन लोगों का जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘व’ और ‘क’ अक्षर से शुरू होता है, उन लोगों को आज के दिन खैर के पेड़, जिससे पान में लगाने वाला कत्था बनता है, उसकी उपासना करनी चाहिए। साथ ही आज के दिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप खैर के पेड़ को किसी प्रकार का नुकसान ना पहुचाएं।

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विभिन्न नक्षत्र और नामाक्षर वाले लोगों पर सूर्यदेव के गोचर के प्रभाव के बारे में आचार्य इंदु प्रकाश से जानें।

भरणी, कृतिका और रोहिणी नक्षत्र की
 जिन लोगों का जन्म भरणी, कृतिका और रोहिणी नक्षत्र में हुआ हो या जिन लोगों का नाम ‘ल’ से, ‘अ’ से, ‘ई’ से, ‘उ’ से, ‘ए’ से और ‘व’ अक्षर से शुरू होता हो, उन लोगों को 11 मई तक अग्नि से संबंधित चीज़ों जैसे बिजली, गैस - चूल्हा आदि के साथ बड़ी ही सावधानी पूर्वक काम लेना चाहिए । साथ ही अगर आप इस दौरान नया घर बनाने की सोच रहे हैं, तो उसे 11 मई तक टालना ही अच्छा होगा। सूर्यदेव की अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये 11 मई
तक सुबह के समय अपने घर का बरामदा, खिड़कियां और दरवाजें खुले रखें, ताकि सूर्य का उचित प्रकाश आपके घर के अन्दर आ सके। साथ ही 11 मई तक प्रतिदिन कुछ देर सूर्य की रोशनी में जरूर बैठें। 

मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु या पुष्य नक्षत्र
जिन लोगों का जन्म मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु या पुष्य नक्षत्र में हुआ है और जिनके नाम का पहला अक्षर व, क, घ, छ या ह है, उन लोगों का जीवन 11 मई तक कुछ थमा हुआ-सा रहेगा। इस दौरान आपको कुछ नया करने का मौका कम ही मिल पायेगा। काम के प्रति आपकी रुचि घट सकती है। आपके अन्दर आलस्य का भाव उत्पन्न हो सकता है। अतः 11 मई तक ऐसी स्थिति से बचने के लिये और जीवन में शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये - रोज सुबह उठकर सूर्यदेव को प्रणाम करें। इससे आपके जीवन की गति बेहतर होगी। 

आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
जिनका जन्म आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो या जिनके नाम का पहला अक्षर ‘ड’, ‘म’, ‘ट’ और ‘प’ हो, उन लोगों के कामों में स्थिरता आयेगी। आप जो भी काम करेंगे, वह 11 मई तक स्थिर रहेगा। अच्छी स्थिति सुनिश्चित करने के लिये 11 मई तक- घर में पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करें। इससे आपके कामों की स्थिरता सुनिश्चित होगी।

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हस्त, चित्रा या स्वाति 
जिन लोगों के जन्म का नक्षत्र हस्त, चित्रा या स्वाति है और जिनका नाम प या र अक्षर से शुरू होता है, उन लोगों को आज से लेकर 11 मई तक धन प्राप्ति के बहुत-से साधन मिलेंगे। आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। आपको हर तरह से धन लाभ होता नजर आयेगा। अतः 11 मई तक मां लक्ष्मी की कृपा अपने ऊपर बनाये रखने के लिये आज के दिन अपने घर के मन्दिर में ही भगवान को गुड़ का भोग चढ़ाएं। इससे मां
लक्ष्मी की कृपा से आपको धन लाभ होगा। 

विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र
जिन लोगों का जन्म विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘त’, ‘न’, ‘य’ और ‘भ’ अक्षर से शुरू होता हो, उन लोगों को आज दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 11 मई की सुबह 06:39 तक अपने हर काम से लाभ मिलेगा । आज जो कार्य करेंगे, उसमें आपकी जीत सुनिश्चित होगी। अतः 11 मई तक अपना लाभ सुनिश्चित करने के लिये- नित्य हनुमान चालीसा पढ़े । इससे आपको सूर्य के शुभ फल प्राप्त होंगे और आपको अपने कार्यों में लाभ मिलेगा। 

पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा या श्रवण नक्षत्र
जिन लोगों का जन्म पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा या श्रवण नक्षत्र में हुआ है और जिनके नाम का पहला अक्षर ध, फ, ज, स या ख है, उन लोगों को 11 मई तक थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान घर के मुखिया को किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अतः 11 मई तक किसी भी प्रकार की अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये इस दौरान काले और नीले रंग के कपड़े पहनना अवॉयड करें। ऐसा करने से आप परेशानियों से बचे रहेंगे।

 धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
जिनका जन्म धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘ग’, ‘स’, ‘द’, ‘थ’, ‘झ’ और ‘ञ’ अक्षरों से शुरू होता हो, उन लोगों को 11 मई तक आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। आपको पैसों से संबंधी कुछ दिक्कत हो सकती है। अतः अशुभ फलों से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- 11 मई तक धार्मिक कार्यों में अपना सहयोग देते रहें। इससे आपकी पैसों से संबंधी समस्या का हल होगा।

 रेवती या अश्विनी नक्षत्र
जिन लोगों का जन्म रेवती या अश्विनी नक्षत्र में हुआ है और जिनका नाम द, च या ल अक्षर से शुरू होता है, उन लोगों को 11 मई तक अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना चाहिए। आपको किसी तरह रोग हो सकता है। साथ ही आपको कुछ अनजानी चीज़ों का भय भी सता सकता है। अतः 11 मई तक अपने स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिये और किसी तरह की अशुभ स्थिति से बचने के लिये  आपको सूर्यदेव के मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। मंत्र है –ऊँ घृणिः सूर्याय नमः।  इस प्रकार मंत्र का जप करने से आपको किसी तरह का भय या रोग नहीं होगा।

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