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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Shani Jayanti 2019: 149 साल बाद ऐसा विशेष संयोग जब शनि जयंती और अमावस्या है एक ही साथ, जरुर करें ये काम

Shani Jayanti 2019: 149 साल बाद ऐसा विशेष संयोग जब शनि जयंती और अमावस्या है एक ही साथ, जरुर करें ये काम

Shani Jayanti 2019: आज यानि 3 जून, सोमवार को शनि जयंती है। माना जाता है शनि जयंती के ही दिन शनि देव का जन्म हुआ था। यही नहीं, शनि जयंती को हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाया जाता है।

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Shani Jayanti 2019: आज यानि 3 जून, सोमवार को शनि जयंती है। माना जाता है शनि जयंती के ही दिन शनि देव का जन्‍म हुआ था। यही नहीं, शनि जयंती को हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार शनि जयंती पर विशेष संयोग बन रहा है। जो कि पूरे 149 सालों बाद बन रहा है। ज्योतिषचार्यों के अनुसार इस बार शनि जयंती लोगों के लिए कुछ खास होगी।

ऐसा 149 सालों बाद हुआ है। जब शनि जयंती के साथ सोमवती अमावस्या और सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। यह योग उन राशियों के लिए अच्छा होगाष जिनेक कुंडली में ढैय्या और साढ़ेसाती चल रही हो।

ऐसे करें शनि देव की पूजा
जो लोग शनिदेव जयंती पर उपवास भी रखते हैं। खासकर उपवास करने वालों को विधिवपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के लिए साफ लकड़ी की चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर शनिदेव की प्रतिमा को स्थापित करें। शनि देव को पंचामृत व इत्र से स्नान करवाने के बाद कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल अर्पित करें।

इसके बाद पूजा करने के दौरान भगवान शनि मंत्र की माला का जाप करना चाहिए। उन्होंने बताया कि शनि देव कर्मदाता व न्याय प्रिय देव हैं। जिस राशि में भगवान शनि का प्रवेश होता है। उसे धर्म व अध्यात्म की पालना करते हुए समाज में न्याय करना चाहिए। भगवान शनि देव अच्छे कर्म करने वालों को बेहतर और बुरे कर्म वालों की बुरे परिणाम देते हैं।

शनि देव के जन्म की कथा
शनि जन्म के संदर्भ में एक पौराणिक कथा बहुत मान्य है जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। कुछ समय बाद उन्हें तीन संतानों के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ रिश्ता निभाने की कोशिश की, लेकिन संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़कर वहां से चली चली गईं। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ।

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