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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Somvati Amavasya 2021: कब है साल की पहली और अंतिम सोमवती अमावस्या? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Somvati Amavasya 2021: कब है साल की पहली और अंतिम सोमवती अमावस्या? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

साल 2021 की पहली अमावस्या 2 दिन पड़ रही है और जब भी अमावस्या दो दिन की होती है तो पहले दिन श्राद्धादि की अमावस्या और दूसरे दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाती है।

 Somvati Amavasya 2021: साल की पहली और अंतिम सोमवती अमावस्या, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/MALLIKAASHARMA  Somvati Amavasya 2021: साल की पहली और अंतिम सोमवती अमावस्या, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

साल 2021 की पहली अमावस्या 2 दिन पड़ रही है और जब भी अमावस्या दो दिन की होती है तो पहले दिन श्राद्धादि की अमावस्या और दूसरे दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाती है। लिहाज़ा 11 अप्रैल चैत्र श्राद्धादि की अमावस्या है। इस दिन अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके साथ ही 12 अप्रैल को स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी। जोकि सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। 

अमावस्या का शुभ मुहूर्त

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार रविवार सुबह 6 बजकर 4 मिनट अमावस्या तिथि शुरू हो गयी है, जोकि सोमवार सुबह 8 बजकर 1 मिनट तक रहेगी।

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सोमवती अमावस्या है काफी खास 
चैत्र मास की उदया तिथि अमावस्या के दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाएगी। सोमवार का दिन है और सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाती है | किसी भी माह की अमावस्या को पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और स्नान-दान का बहुत महत्व होता है । आज गंगा स्नान और दान-पुण्य करना शुभफल देने वाला होता है | चैत्र अमावस्या के दिन कई धार्मिक तीर्थों पर बड़े-बड़े मेलों का आयोजन भी किया जाता है।  आपको बता दें कि यह साल की पहली और आखिरी सोमवती अमावस्या है।  

सोमवती अमावस्या के दिन करें पीपल और तुलसी की पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य  और तुलस की को अर्ध्य दें। इसके बाद भगवान शिव को भी चल चढ़ाएं। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। आप चाहे तो मौन व्रत रख सकते हैं। 

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पीपल के पेड़ की पूजा करें। इसके साथ ही तुलसी का भी पौधा रखें।  पीपल पर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, हल्दी, माला, काला तिल आदि चढ़ाएं। वहीं तुलसी में पान, फूल, हल्दी की गांठ और धान चढ़ाएं। इसके बाद पीपल की कम से कम 108 बार परिक्रमा करें। घर आकर पितरों का तर्पण दें। इसके साथ ही गरीबों को र दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है। 

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