गुरूं पद पंकज सेपा तीसरि भगति अमान।
चौथि भगति मम् गुन गन करइ कपट तजि गान।।
तीसरी भक्ति है अभिमान छोड़कर गुरू की सेवा करना-
श्री राम ने कहा कि जो व्यक्ति मन में अभिमान होता है कि मैं ऐसा काम नही कर सकता हूं। लोग क्या सोचेगें। अगर आपने ऐसा किया तो आप कभी भी मुझें नही प्राप्त कर सकते है। इसलिए आप अभिमान को छोड़कर गुरू की सेवा करें।
चौथा भक्ति है छल कपट का त्याग कर मेरें गुणों का गान करना-
मेरें दर्शन किसी को तभी होते है जब वह बिना छल कपट के मेरी भक्ति करें। साथ ही संसार में मेरें गुणों का गान करें। तभी मेरी कृपा उसके ऊपर होगी।
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