श्री राम ने शबरी को बताएं भक्ति के ये लक्षण
नई दिल्ली: माना जाता है कि अगर भगवान की पूजा और भक्ति सच्चे मन से की जाए तो वह जरुर प्रसन्न होता है। हिंदू धर्म के ग्रंथों में कहा गया है कि अगर भगवान को
तब वह दोनों उस कुटिया के पास पहुचतें हैं। तब वहां उनको एक बुढी औरत मिलती है। वह बुढी औरत दोनों को देखकर जान जाती है कि यह श्री राम है। उसका आखों में आसूं आ जाते है और बोलती है कि हे प्रभु आपका इंतजार में सालों से कर रही हूं । इसी आशा के साथ एक दिन आप आओगें। उस बुढिया जिसका नाम शबरी था। श्री राम ने उसका आथिथ्य स्वीकार किया। शबरी के पास कुछ न होने पर वह दुखी थी और फिर उसने प्रभु श्री राम को बेर खिलाएं।
वह हर बेर को चखकर श्री राम को खिला रही थी। जिसे खाकर श्री राम बार-बार उसकी प्रसन्ना कर रहे थे। तब शरबी कहती हा कि हे प्रभु मैं स्त्री वह भी अधय मंदबुद्धि की। मैं आपकी वंदना किस तरह करुं कि आप मुझ पर आपकी कृपा हो। मेरे पास ऐसा कोई गुण नही है कि मैं आापकी भक्ति कर सकूं। यह कहते ही शबरी बहुत दीन हो जाती है, तो श्री राम शबरी को एक सच्चे भक्त के लक्षण बताते है। श्री राम के बताए गए भक्ति के लक्षण आरण्य काण्ड में लिखे हुए है। जो इस तरह है-
नवधा भगति कहउं तोहि पा ही। सावधान सुन धरन मन मोहि।
इसका मतलब हा कि प्रभु श्री राम शबरी से कहते है कि हे शबरी में तुम्हें भक्ति के 9 लक्षण बताता हूं। तुम उसे ध्यान से सुनों।
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरी रति मम् कथा प्रसंगा।।
पहली भक्ति संत्संग-
माना जाता है कि संत्संग में जाने से हमारें अंदर जो भगवान के प्रति गलतिया है वह सही हो जाती है। हमें भगवान के प्रति भक्ति करने तका सही मार्ग मिल जाता है। जिससे व्यक्ति हमे पा सकता है।
दूसरी भक्ति भगवान की कथाएं सुनना-
भी राम ने शबरी से कहा कि हे शबरी जो व्यक्ति हमारी कथाओं को सुनता है । उससे उसको मार्गदर्शन मिलता है जिससे वह आगे चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
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