A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र शीतला अष्टमी और नवमी के दिन ठंडा खाना और ठंडे पानी से ही क्यों किया जाता है स्नान, क्या आप जानते है ये कारण

शीतला अष्टमी और नवमी के दिन ठंडा खाना और ठंडे पानी से ही क्यों किया जाता है स्नान, क्या आप जानते है ये कारण

शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन बांसी या ठण्डा भोजन खाने की परंपरा है। साथ ही इस दिन ठण्डे पानी से नहाने का भी रिवाज़ है। जानिए इसका वैज्ञानिक कारण भी। जानिए क्या है वह...

shitla saptami- India TV Hindi shitla saptami

धर्म डेस्क: 9 मार्च को चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और शुक्रवार का दिन है। होली के बाद चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है। अतः आज श्री शीतलाष्टमी व्रत है। विशेषकर मालवा, निमाड़, राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में इसे मनाया जाता है। स्कन्द पुराण में माता शीतला की अर्चना का स्तोत्र 'शीतलाष्टक' के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शंकर ने की थी। शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र भी बताया गया है।

वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।

अर्थात् गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की मैं वंदना करता हूं। शीतलाष्टमी के इस पर्व को स्थानीय भाषा में बासौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा नामों से भी जाना जाता है। इस दिन बांसी या ठण्डा भोजन खाने की परंपरा है। साथ ही इस दिन ठण्डे पानी से नहाने का भी रिवाज़ है। जानिए इसका वैज्ञानिक कारण भी।

शीतला अष्टमी का यह पर्व हमें पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने की प्रेरणा देता है। इस दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। दरअसल इस समय सर्दी की ऋतु जाने को होती है और गर्मी की ऋतु आने को होती है, जिसके चलते एनवायरमेंट में कई तरह के चेन्जेस भी होते हैं। अतः इस बीच होने वाले बदलावों से अपनी बॉडी को बचाये रखने के लिये अपने आस-पास साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।

अगली स्लाइड में जानें वैज्ञानिक कारण

Latest Lifestyle News