धर्म डेस्क: चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और शुक्रवार का दिन है। होली के बाद चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है। अतः आज श्री शीतलाष्टमी व्रत है। विशेषकर मालवा, निमाड़, राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में इसे मनाया जाता है। स्कन्द पुराण में माता शीतला की अर्चना का स्तोत्र 'शीतलाष्टक' के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शंकर ने की थी। शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र भी बताया गया है-
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
अर्थात् गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की मैं वंदना करता हूं। शीतलाष्टमी के इस पर्व को स्थानीय भाषा में बासौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा नामों से भी जाना जाता है।
इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव भगवान शिव का ही एक रूप हैं। इन्हें तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है। कहते हैं काल भैरव की साधना के बिना तंत्र साधनाओं में पूर्णतः सफलता नहीं मिल पाती। इनकी साधना से आपकी हर इच्छा पूरी होगी। आपके बिजनेस में बढ़ोतरी होगी। आपके मन की दुविधा दूर होगी और आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
अपने घर की सुख-समृद्धि को बनाये रखने के लिये आज के दिन माता को अक्षत चढ़ाएं और उनमें से थोड़े से अक्षत लेकर एक सफेद कागज में रखकर पुड़ियां बना लें और उस पुड़िया को अपने पर्स में या अपनी तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से देवी मां की कृपा से आपकी सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहेगी।
- आपके घर में कभी अन्न-धन की कमी न हो, इसके लिये आज के दिन देवी मां को बाजरा, गुड़, मूंग, मोठ, बिनौले, हल्दी आदि भी चढ़ाना चाहिए।..... ऐसा करने से आपके घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होगी और हर तरह से आपकी बढ़ोतरी ही बढ़ोतरी होगी।
- अगर आपके मन में कोई इच्छा बहुत समय से घर किये हुए है और आप लाख कोशिशों के बावजूद भी उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं इस दिन शाम के समय भैरव जी की विधिवत पूजा करें और उनके सामने तिल के तेल का दीपक जलाकर अपने मन की बात कहें। साथ ही अगर हो सके तो किसी जरूरतमंद को काला कंबल गिफ्ट करें। आपकी इच्छा जल्द ही पूरी होगी।
अगली स्लाइड में पढ़ें और उपायों के बारें में
Latest Lifestyle News