धर्म डेस्क: शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है। इस दिन व्रत रखने से संतान की लंबी उम्र और हर काम में सफळता मिलती है। कही-कही पर इसे कोजागर व्रत के नाम से जाना जाता है। जिसका अर्थ है कि कौन जग रहा है।
पुराणों के अनुसार मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। जिसके उत्सव आज के दिन मनाते है। इतना ही नहीं शास्त्रों के अनुसार ये भी माना जाता है कि मां लक्ष्मी इस दिन उल्लू में सवार होकर धरती पर आती है और वह देखती है कि कौन इस रात को जगकर उनकी पूजा-अर्चना कर रहा है। इसके उपरांत वो फल देती है।
ज्योतिषियों की मानें तो इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा सच्चे मन और श्रृद्धा के साथ करने से सभी मनोकामनाएं, धन की प्राप्ति होती है।
यदि उसकी कुण्डली में धन योग नहीं भी हो तब भी माता उन्हें धन-धान्य से अवश्य ही संपन्न कर देती हैं। उसके जीवन से निर्धनता का नाश होता है, इसलिए धन की इच्छा रखने वाले हर व्यक्ति को इस दिन रात को जाग कर जरुर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। जानिए पूजा विधि और कथा के बारें में।
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
नारदपुराण के अनुसार इस दिन रात में मां लक्ष्मी अपने हाथों में वर और अभय लिए घूमती हैं। जो भी उन्हें जागते हुए दिखता है उन्हें वह धन-वैभव का आशीष देती हैं।
शाम के समय चन्द्रोदय होने पर चांदी, सोने या मिट्टी के दीपक जलाने चाहिए। इस दिन घी और चीनी से बनी खीर चन्द्रमा की चांदनी में रखनी चाहिए। जब रात्रि का एक पहर बीत जाए तो यह भोग लक्ष्मी जी को अर्पित कर देना चाहिए।
शरद पूर्णिमा को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठें। इसके बाद नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें।
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