धर्म डेस्क: हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी तिथि 24 अगस्त 2017 को शाम में 8 बजकर 27 मिनट से आरम्भ होगी। इस तिथि की समाप्ति 25 अगस्त को शाम में 8 बजकर 31 मिनट तक होगी, लेकिन 8 बजकर 31 मिनट के बाद भी चन्द्रमा उदित रहेंगे, जो रात में 9 बजकर 20 मिनट में अस्त होंगा। मान्यताओं के अनुसार, जिन श्रद्धालुओं की चन्द्र-दर्शन निषेध में आस्था है, उन्हें 9 बजकर 20 मिनट को चन्द्रमा के दर्शन करना चाहिए।
जानिए क्या है चन्द्र-दर्शन निषेध समय
जिन क्षेत्रों के श्रद्धालु गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन का निषेध करते हैं। उनको बता दें कि इस वर्ष चन्द्र दर्शन का निषेध केवल चतुर्थी को ही नहीं बल्कि तृतीया तिथि को भी करना चाहिए। यूं तो निषेध सम्पूर्ण रात्रि के लिए मान्य है, लेकिन इन तिथियों को चंद्रोदय और चंद्रास्त की अवधि काफी छोटी होती है। लिहाजा तृतीया तिथि (24 अगस्त) को चन्द्रमा को नहीं देखने का समय शाम में 8 बजकर 27 मिनट 8 बजकर 43 मिनट (लगभग 16 मिनट) तक है। वहीं चतुर्थी तिथि (25 अगस्त) को उन्हें सुबह 9 बजकर 10 मिनट से शाम के 9 बजकर 20 मिनट (12 घण्टे 9 मिनट) तक चन्द्र-दर्शन से बचना चाहिए।
चंद्रमा-दर्शन अनिष्टकारी या शुभ-फलदायी
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा दर्शन नहीं करना चाहिए, लेकिन आपको बता दें यह बात पूरे भारत वर्ष में एक समान रूप से लागू नहीं होती है। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को एक विशेष ढंग से मनाया जाता है। विशेष कर इस क्षेत्र के कृषक समुदायों के द्वारा और वे अनिवार्य रूप से इस दिन चन्द्र-दर्शन करते हैं। यहां इसे चौथ-चंदा पर्व कहा जाता है। इस मौके पर चन्द्रमा को दही, खीर, फल-फूल, मिष्टान, पकवान आदि से अर्घ्य दिया जाता है। इस प्रकार इन क्षेत्रों में चंद्रमा का दर्शन अनिष्टकारी नहीं बल्कि शुभ-फलदायी माना जाता है।
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