Sawan 2019: 17 जुलाई से 15 अगस्त तक शिवजी का पवित्र माह सावन, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Sawan 2019 Dates: सावन का पवित्र माह शुरु हो चुका है। जो कि 15 अगस्त तक है। जानें सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Sawan 2019: सावन 2019 शुरु हो गए है। हिंदू धर्म के लिए जुलाई माह बहुत ही खास है। इस माह कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार के साथ सावन पड़ रहा है। जिसके साथ ही भगवान शिव की आराधना होना शुरु हो जाएगी। माना जाता है कि जो भक्त इस पावन माह में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। उनके ऊपर भोले बाबा की हमेशा कृपा बनी रहती है। इस बार सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को होगा। वहीं 15 अगस् को पूर्णिमा के दिन नका समापन होगा।
क्यों खास है इस बार का सावन?
इस बार सावन के महीने की खास बात यह है कि इस बार सावन के 4 सोमवार होंगे। सावन का अंतिम दिन 15 अगस्त को है। इस दिन स्वतंत्रतता दिवस के साथ रक्षाबंधन भी है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत के साथ साथ सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग के साथ कई अन्य शुभ योग बन रहे है।
सावन का महत्व
हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।
सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
30 जुलाई को शिव पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:10 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक होगा.
सावन में शिवशंकर की पूजा
सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।
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