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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र सावन में शिवलिंग कभी भी न चढ़ाएं ये 5 चीजे, होगा आपका अनिष्ट

सावन में शिवलिंग कभी भी न चढ़ाएं ये 5 चीजे, होगा आपका अनिष्ट

कहा जाता है कि भोलेनाथ की पूजा करने से वही नही बल्कि सारे भगवान ख़ुश हो जाते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव जी के भक्तों को शिवलिंग पर कभी भी नीचे दी गयी वस्तुएं नहीं चढ़ानी चाहिए।

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Sawan 2019: देवो के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव(Lord Shiva) का प्रिय महीना सावन (sawan) शुरू हो चुका है। पूरे माह शिवालयों में भक्तों का सैलाब रहता है। इस बार पूरे 30 दिन सावन रहेगा। इसमें आप भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न कर सकते है।

शिव जी को बैरागी कहा गया है इस लिए उन्हें आम ज़िन्दगी में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें नहीं चढ़ाई जाती हैं। भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए आप उन्हें भांग-धतूरा, दूध, चंदन, और भस्म चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि भोलेनाथ की पूजा करने से वही नही बल्कि सारे भगवान ख़ुश हो जाते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव जी के भक्तों को शिवलिंग पर कभी भी नीचे दी गयी वस्तुएं नहीं चढ़ानी चाहिए।

हल्दी (Turmeric)
शिवलिंग पर हल्दी कभी नहीं चढ़ाई जाती है क्योंकि यह महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है। और भगवान शिव तो वैसे ही सुंदर है। जिसके कारण भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर हल्दी नही चढाई जाती है।

तुलसी (Basil)
शिव पुराण के अनुसार जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था। जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि वह अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है। लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा। अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था।

केतकी
केतकी के फूल एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले।

छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव जी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा।

वीडियों में देखें और कौन सी चीजें शिवलिंग में नहीं चढ़ानी चाहिए

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