स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा- मन को बलवान रखें, बीमारी का समाधान निकलेगा
चुनौतियां कई अवसर लेकर आती हैं, इसलिए इस समय का सदुपयोग करें। ये कहना है स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का।
इस समय पूरा देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। इस संकट की घड़ी में आस्था जगाने और जीवन को अनवरत आगे बढ़ाने के प्रयास में इंडिया टीवी कई धर्मों के महागुरुओं के साथ 'सर्वधर्म सम्मेलन' कर रहा है। इस कड़ी में नागा साधुओं के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कोरोना काल में धर्म का मार्ग बताया।
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा- हमारे शास्त्र कहते हैं कि मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है। मनुष्य के अंदर अद्भुत तेज विद्मान है। उसके पास सामर्थ्य की कमी नहीं है। अगर वो उसका बोध कर ले तो हर मुसीबत का सामना कर सकता है। कोरोना वायरस के संकट काल में सभी कह रहे हैं कि अपनी रोग-प्रतिरोधक शक्ति को जगाएं। अगर आपके पास दृढ़ संकल्प की शक्ति है तो वो बड़ी मुसीबतों को आसानी से झेल सकता है।
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने आगे कहा- 'जो धर्म है, उसमें सहनशीलता, संयम, धैर्य और क्षमा आदि गुण होते हैं। इसलिए ध्यान और योग के द्वारा अगर शख्स विचार विमर्श करें, कुछ अच्छा काम करें। सकारात्मक रहे सकें तो हम बड़ी ऊर्जा प्राप्त कर सके हैं, जो लड़ने में मदद करेगी।
चुनौतियां कई अवसर लेकर आती हैं, इसलिए इस समय का सदुपयोग करें। ये कहना है स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का। उन्होंने आगे कहा- हम प्राकृतिक रहें। आध्यात्मिक रहें। सभी ने बड़ी भूल की है, इसलिए ये स्थिति सामने आई है। हमने धरती पर पेड़ काट दिए। इसलिए प्रकृति हमें सीख दे रही है। ऐसे में उन नियमों का पालन करें, जिसके वातावरण को भी लाभ हो। जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है। अगर आप प्राकृतिक जीवन जिएंगे तो प्रकृति भी साथ देगी। मन को बलवान रखें, बीमारी का समाधान निकल जाएगा।
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि हमारी संस्कृति तर्पण, समर्पण और अर्पण पर आधारित है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करें। कुंभ को लेकर उन्होंने कहा कि ईश्वर करे कि तब तक सब कुछ ठीक हो जाए। जरुरत पड़ी तो प्रतीकात्मक कुंभ होगा।