जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सूत्र है, जो भगवान महावीर ने हमें प्रदान किया है, जियो और जीने दो। अंहिसा परमो धर्म। और यही हमें कोरोना वायरस से लड़ना सिखाने का शस्त्र है। ये कहना है जैन मुनि आचार्य पुलक सागर महाराज, जो इंडिया टीवी के 'सर्वधर्म सम्मेलन' में शामिल हुए। बता दें कि इंडिया टीवी पर सर्वधर्म सम्मेलन हो रहा है। इसमें देश के प्रतिष्ठित 20 महागुरु शामिल हो रहे हैं।
आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा- एक बहुत बड़ा संकट है कोरोना महामारी का, लेकिन हमें इससे डरना नहीं है, लेकिन ज्यादा निडर भी नहीं होना है कि इससे कुछ नहीं होगा। इतना डरो कि आने वाले डर से हमें बचा सके। इस वैश्विक महामारी से लड़ना है तो जीवन जीने का सलीका सीखना पड़ेगा। अपनी भावनाओं और विचारों के माध्यम से जो अपने जीवन में परिवर्तन लेकर आएगा, वही इससे लड़ सकेगा।
कोरोना के कारण हमने जीवन को समझा
उन्होंने कहा कि कोरोना बीमारी की तह तक जाना है। ये इसलिए आया है, क्योंकि हमने प्रकृति से छेड़छाड़ की है। हालांकि, कोरोना की वजह से हमने जीवन को समझा है। इसका जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली है। हमें ही अपने जीवन को बदलना पड़ेगा। अनुशासन में रहना पड़ेगा। कोरोना जैसी बीमारी प्रकृति का एक दंड है, क्योंकि हमने वातावरण दूषित कर दिया है।
घर और मन को बनाएं मंदिर-मस्जिद
बता दें कि देशभर के प्रमुख दिगंबर जैन मुनि हैं। उन्होंने धार्मिक स्थलों के खुलने को लेकर कहा कि जरूरी नहीं है कि भगवान मंदिरों में ही मिलते हैं। अगर आपका मन साफ है तो वो लोगों के दिलों में बसते हैं। अपने मन को ही मंदिर-मस्जिद बनाने का प्रयास करें। जब तक हम हैं, तब तक ही मंदिर-मस्जिद हैं। इसलिए जीना है तो संभलना होगा, चलना है तो रुकना होगा।
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