संवत्सरी पर्व: इस शुभ मुहूर्त में लें ये 8 संकल्प, अनजाने में की गई गलती से मिलेगी मुक्ति
आज के दिन को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर इन आठ तत्वों से संबंधित संकल्प लेना चाहिए। किस तत्व का संकल्प आपको कितने बजे लेना है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और रविवार का दिन है। पंचमी तिथि शाम 5 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी मनायी जाती है। इसके साथ ही जैनियों के चतुर्थी पक्ष का संवत्सरी पर्व भी मनाया जायेगा। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार बीते 15 अगस्त को जैनियों के चतुर्थी पक्ष का पर्युषण पर्व शुरू हुआ था और ये पर्व 8 दिनों तक चलता है। वहीं रविवार को चतुर्थी पक्ष के पर्युषण पर्व का आठवां दिन है और इस दिन को संवत्सरी के रूप में मनाया जाता है। रविवार से पंचमी पक्ष का पर्युषण पर्व आरम्भ हो रहा है जो की अगले महिने 3 सितम्बर को खत्म होगा।
दरअसल जैन धर्म के दो सम्प्रदाय होते है पहला श्वेताम्बर और दूसरा दिगाम्बर। श्वेताम्बर सम्प्रदाय चतुर्थी पक्ष का पर्युषण पर्व और दिगाम्बर सम्प्रदाय पंचमी पक्ष का पर्युषण पर्व मनाते है। हालांकि दोनों पर्युषण पर्व क्षमा याचना पर ही आधारित है। इसमें आठ दिनों तक व्रत, पूजा-पाठ, अनुष्ठान के साथ आदि जाने-अनजाने किसी व्यक्ति का दिल दुखाया होगा। इन्हीं गलतियों को सुधारकर अपनी अंतर्चेतना को शुद्ध करने के लिये ये पर्युषण पर्व मनाया जाता है।
जो लोग बीते सात दिनों में इस व्रत का पालन न कर पाये हों, वो आज सम्वत्सरी के दिन इसका लाभ उठा सकते हैं। एक-दूसरे से 'मिच्छामि दुक्कड़म' कहकर क्षमायाचना करनी चाहिए। आपको बता दें कि ये 'मिच्छामि दुक्कड़म' शब्द प्राकृत भाषा से लिया गया है। इसका अर्थ आप इस तरह से भी समझ सकते हैं- माम् इच्छामि दुक्कड़म....
यानी, मैं इच्छा रखता हूं क्षमा मांगने की.... मेरी इच्छा क्षमा मांगने की है, या यूं कहें मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
ये जरूरी नहीं है कि आप एक जैन हों या जैन धर्म से संबंध रखते हों, जरूरी ये है कि आप इस क्षमायाचना के पर्व का महत्व समझकर, इसका लाभ उठाएं। इस दिन को मैत्री दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस पर्व को मुख्यतः आठ तत्वों के आधार पर मनाया जाता है। वो आठ तत्व हैं- राग, स्मृति, द्वेष, योग, संशय, मिथ्या ज्ञान, धर्म और अज्ञान ।
ये संवत्सरी पर्व मानव को मानव से जोड़ने और अपने अंतर्मन को शुद्ध करने का महान पर्व है, जिसे त्याग, उपवास और संयम से मनाया जाता है। इस दिन सभी अपने मन की उलझी हुई ग्रंथियों को सुलझाते हैं, एक दूसरे से गले मिलते हैं और पूर्व में हुई भूलों के लिये क्षमा मांगते हैं साथ ही दूसरों की गलतियों को भूलकर उन्हें क्षमा करते हैं।
इन शुभ मुहूर्त में लें इन 8 तत्वों का संकल्प
आज के दिन को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर इन आठ तत्वों से संबंधित संकल्प लेना चाहिए। किस तत्व का संकल्प आपको कितने बजे लेना है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।
राग से मुक्ति के संकल्प की -
सुबह 7 बजकर 31 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट - के बीच राग या मोह से मुक्ति का संकल्प लेना है। मोह से मुक्ति का ये संकल्प आपको दक्षिण-पूर्व दिशा में मुंह करके लेना है। इस संकल्प से दूसरों के साथ आपका मैत्रीपूर्ण व्यवहार मजबूत होता है। आप 'मैं' से निकलकर 'हम' की श्रेणी में आते हैं।
स्मृति के लिए संकल्प
सुबह 9 बजकर 9 मिनट से 10 बजकर 46 मिनट के बीच स्मृति, यानी यादाश्त का संकल्प लेना है। स्मृति का ये संकल्प आपको उत्तर दिशा में मुंह करके लेना चाहिए। इस संकल्प से आपके अपने कभी आपसे दूर नहीं होंगे और आपकी हर परेशानी में काम आयेंगे। साथ ही समाज में आपकी यश-कीर्ति बनी रहेगी।
द्वेष के लिए संकल्प
सुबह 10 :46 से 12: 23 के बीच द्वेष से मुक्ति का संकल्प लेना है। द्वेष से मुक्ति का ये संकल्प आपको उत्तर-पश्चिम दिशा में मुंह करके लेना चाहिए। इस संकल्प से दूसरों के प्रति प्यार की भावना आती है और आपको अच्छे सहयोगी प्राप्त होते हैं, जिससे आप अपने काम को बेहतर ढंग से पूरा कर पाते हैं।
युज के लिए संकल्प
दोपहर 12 :23 से दोपहर 2 बजे के बीच युज या योग का संकल्प लेना है। योग का ये संकल्प आपको पश्चिम दिशा में मुंह करके लेना है। युज का अर्थ है जुड़ना, ईश्वर की सत्ता से जुड़ना। अतः युज या योग के इस संकल्प से व्यक्ति उच्च पद की प्राप्ति करता है और सबके बीच सम्मानीय होता है।
संशय के लिए संकल्प
दोपहर 2 बजे से 3 बजकर 37 मिनट के बीच संशय, यानी डाउट से मुक्ति का संकल्प लेना है | संशय से मुक्ति का ये संकल्प आपको उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके लेना चाहिए। इस संकल्प से आपके डाउट्स क्लियर हो पायेंगे। आपको अच्छी से अच्छी जॉब आर्प्चुनिटीज़ मिलेंगी और आपका इंक्रीमेंन्ट होगा, यानी आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पायेगा।
मिथ्या के लिए संकल्प
दोपहर बाद 3 बजकर 37 मिनट से लेकर शाम 5 बज कर 14 मिनट के बीच मिथ्या ज्ञान की पहचान का संकल्प लेना है। मिथ्या ज्ञान की पहचान का ये संकल्प आपको दक्षिण दिशा में मुंह करके लेना चाहिए। ये इस बात का संकल्प है कि आप किसी भी बात पर अपना फैसला देने से पहले उसकी अच्छे से तहकीकात करेंगे। इस संकल्प से आपके दाम्पत्य संबंध में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आयेगी और आपका जीवन सुख से बीतेगा।
धर्म का आदर के लिए संकल्प
शाम 5 बजकर 14 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट के बीच धर्म का आदर करने का संकल्प लेना चाहिए । धर्म का आदर करने का ये संकल्प आपको पूर्व दिशा में मुंह करके लेना चाहिए। इस संकल्प से आपकी हर जगह जीत होती है। आप जितना धर्म का आदर, सम्मान करेंगे, उतना ही धर्म भी आपका आदर, सम्मान करेगा और आपकी हर प्रकार से रक्षा करेगा।
अज्ञान से मुक्ति के लिए संकल्प
सुबह 5 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 31 मिनट के बीच अज्ञान से मुक्ति का संकल्प लेने के लिए उपयुक्त समय रहेगा अत: इस बीच आप को अज्ञान से मुक्ति का संकल्प लेना चाहिए | अज्ञान से मुक्ति का ये संकल्प आपको दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके लेना चाहिए | इस संकल्प से आपके बिजनेस की गति को कोई नहीं रोक सकता | आप लगातार आगे बढ़ते जायेंगे और आपका ज्ञान भी लगातार बढ़ता जायेगा।
जानिए संकल्प क्या है और इसे कैसे करना है-
संकल्प का नियम है- 'आत्मानो साक्षी भूत्वा.......'
अर्थात् स्वयं अपनी आत्मा के प्रति साक्षी होकर खुद से वादा करना ही संकल्प है। जैसे अज्ञान से मुक्ति के संकल्प का अर्थ है- खुद से ये वादा करना कि मैं सही ज्ञान की खोज करूंगा। उसी तरह संशय से मुक्ति का संकल्प है- कि मैं अपनी शंकाओं का निवारण करूंगा। इसी प्रकार बाकी संकल्प भी हैं। इसमें आपको बहुत कुछ नहीं करना है, ये बस खुद से किया गया एक वायदा है, जो आज संवत्सरी के दिन आपको साक्षात्कार करना है।