धर्म डेस्क: हिंदू धर्म के शास्त्रों में माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। ऐसा भी माना जाता है कि रुद्राक्ष शिवजी का मनपसंद आभूषण है। कहते है की रुद्राक्ष के बिना शिवजी का श्रंगार ही अधूरा होता है। (नागपंचमी 27 को: इस बार बन रहा है विशेष संयोग, ऐसे करें पूजा)
पद्म पुराण, देवी भागवत, रुद्राक्ष जबाला उपनिषद जैसे अनेक प्राचीन ग्रंथों में रुद्राक्ष की अति-अद्भुत एवं आश्चर्यजनक महत्ता का वर्णन किया गया है। रुद्राक्ष के मुखो की संख्या रुद्राक्ष की फलश्रुति निर्धारित करती है। वैसे तो 1 मुखी से 21 मुखी तक के सभी रुद्राक्ष लोकप्रिय है। (बुधवार: आज इऩ 5 राशि के जातक रहे बचकर, हो सकता है धनहानि और विवाद)
निर्णयसिंधु के अनुसार "अग्निसम्भूत त्रिमुखी स्तत्र" यानि तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि से उत्पन्न हुआ है और यह पापों को नष्ट करने वाला है। पंच तत्वों में अग्नि का स्थान विशिष्ट है। तीन मुखी रुद्राक्ष स्वंय में बृह्मा, विष्णु और महेश को धारण करता है, वह जठराग्नि, बड़वाग्नि और दावाग्नि समस्त से मनुष्य की रक्षा करता है।
इसकी शक्ति से कौनसी बीमारिया पल भर में ठीक हो जाती है।
सबसे पहले तीनमुखी रुद्राक्ष की विशेषताएं...
यह त्रिदोषों का नाशक है यानि कफ, पित्त और वात का नाश करता है।
यह तीन वरणों यानि स्वर, व्यंजन और विसर्ग पर मनुष्य को अथॉरिटी देता है।
यह मनुष्य की तीनों ऐष्णाओं की पूर्ति करता है: तीन ऐष्णाएं हैं धन, पुत्र और लोक।
यह तीनों नाड़ियों को नियंत्रित करता है: तीन नाड़ियां हैं आदि, अंत और मध्य।
यह तीनों लिंग के लोगों द्वारा पहना जा सकता है: तीन लिंग हैं- पुरुष, स्त्री और उभय।
तीन मुखी रुद्राक्ष की और भी काफी विशेषताएं हैं। जानने के लिए देखे वीडियो-
Latest Lifestyle News