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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Purnima 2018: सर्वार्थसिद्ध योग में पूर्णिमा, ऐसे पूजा कर करें हर मुराद पूरी

Purnima 2018: सर्वार्थसिद्ध योग में पूर्णिमा, ऐसे पूजा कर करें हर मुराद पूरी

आज श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, लेकिन चतुर्दशी तिथि आज दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, उसके बाद पूर्णिमा लग जायेगी, जो कि कल शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगी।

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धर्मं डेस्क: आज श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, लेकिन चतुर्दशी तिथि आज दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, उसके बाद पूर्णिमा लग जायेगी, जो कि कल शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। जब कभी पूर्णिमा दो दिनों की होती है, तो पहले दिन पूर्णिमा का व्रत किया जाता है और अगले दिन स्नान-दान आदि किया जाता है। अतः आज के दिन पूर्णिमा का व्रत किया जायेगा।

इस बार पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन भी पड़ रहा है। जिसके कारण यह और भी माना जाता रहा है। इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थसिद्ध योग लग रहा है। जिससे इस दिन पूजा करने से आपको हर काम में सफलता मिलेगी। इसके साथ ही भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते है। (Raksha Bandhan 2018: रक्षाबंधन के दिन बहन करें ये खास उपाय, भाई को मिलेगी हर समस्या से निजात )

पूर्णिमा हर माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्दशी के बाद आती है और हर माह में पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। आपको बता दूं कि पूर्णिमा का व्रत भगवान सत्यनारायण, यानी भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है। इस व्रत में एक समय भोजन किया जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन किया जाता है। (Kajari Teej 2018: जानें कब है कजरी तीज, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से होगी पति की लंबी आयु)

पूर्णिमा पूजा विधि
आज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर, व्रत का संकल्प लेकर घर के मन्दिर में या ईशान कोण में, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में एक लकड़ी की चौकी पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही भगवान गणेश की मूर्ति भी स्थापित करें। आप लड्डू पर या सुपारी पर मौली लपेटकर भी, उसे गणेश जी के रूप में स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद विधि-विधान से सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। फिर सत्यनारायण भगवान की पूजा करें। इस प्रकार पूजा के बाद सत्यनारायण की कथा पढ़ें। ये जरूरी नहीं है कि जो लोग व्रत करते हैं, केवल वही कथा का पाठ कर सकते हैं। इस कथा को कोई भी व्यक्ति जो व्रत करता है और जो व्रत नहीं करता है, पढ़ सकता है। कथा का पाठ करने के बाद भगवान को भोग लगाएं और अपनी इच्छा की पूर्ति के लिये प्रार्थना करें।

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