धर्म डेस्क: प्रसाद या नैवेद्ध भगवान के प्रति भाव है। भगवान को प्रसाद चढ़ाने का भी एक नियम, कायदा होता है। जिसके अनुसार काम करने से भगवान जल्द प्रसन्न होते है।
कई बार आपने भी किया होगा कि आपके हाथ में जैसे भी धातु का बर्तन आया आपने उसमें प्रसाद रख भगवान का भोग लगा दिया। जो कि शास्त्रों के अनुसार गलत माना जाता है। इसी तरह कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि इस भोग को खाना चाहिए कि फेंकना चाहिए। यानी की चढ़ाने के बाद इस भोग का क्या करना चाहिए, तो हम आपको बताते है कि भोग लगाने में किस धातु का इस्तेमाल करें। साथ ही जानें कि इसका क्या करना चाहिए। (बुधवार: बन रहे है 2 शुभ योग, इन 7 राशियों की चमक जाएंगी किस्मत आज)
किसी भी पूजा में देवी-देवता को प्रसाद या नैवेद्य अर्पित किया जाता है, लेकिन उस प्रसाद का बाद में, यानी चढ़ाए जाने के बाद क्या करना चाहिये- उसे खाना चाहिये, फेंकना चाहिये, ऐसे ही पड़ा रहने देना चाहिये और एक बात और कि किस बर्तन में प्रसाद चढ़ाना चाहिये? क्योंकि इन सब चीजों का घर पर सीधा असर पड़ता है तो नैवेद्य को धातु, यानि सोने, चांदी या ताम्बे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया हुआ नैवेद्य तत्काल निर्माल्य हो जाता है और उसे तुरंत उठा लेना चाहिये| प्रसाद को खाना चाहिये और यथा संभव बांटना भी चाहिए। (Navratri 2017: उपवास के लिए ऐसे बनाएं टेस्टी साबूदाना की खिचड़ी)
देवता के पास पड़ा हुआ नैवेद्य निगेटिव एनर्जी छोड़ता है| देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरंत उठा लेना चाहिए। ऐसा न करने पर विश्वकसेन, चण्डेश्वर, चन्डान्शु और चांडाली नामक शक्तियों के आने की बात कही गई है।
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