धर्म डेस्क: बुध प्रदोष के दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है, साथ ही कामनाओं की पूर्ति होती है। किसी भी प्रदोष व्रत में वैसे तो भगवान शिव की उपासना का बहुत ही महत्व है, लेकिन साथ ही उस दिन से जुड़े देवता की पूजा-उपासना भी करनी चाहिए।
आज के दिन शिव मंदिर में जाकर सबसे पहले पंचामृत व गंगाजल से शिव जी को स्नान कराएं और फिर जल से स्नान कराएं। इसके बाद बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि से भगवान का पूजन करें और हर बार एक चीज़ चढ़ाते हुए 'ऊं नमः शिवाय' का जाप करें। पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए और पूजा के बाद भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाना चाहिए। ध्यान रहे कि प्रदोष व्रत में अन्न नहीं खाया जाता। इस दिन शाम को पूजा के बाद फलाहार किया जाता है।
अगर आपकी पत्रिका में बुद्ध की महादशा या अंतर्दशा चल रही है या बुध लग्नेश, पंचमेश या नवमेश होकर शुभ हो, तो उन्हें आज बुध प्रदोष के दिन बुद्ध के मंत्रों का जाप करना चाहिए। बुध का सबसे लोकप्रिय मंत्र है-
ऊं बुं बुधाय नमः"
बुध का तंत्रोक्त मंत्र है-
"ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः"
वहीं बुध के किस मंत्र से लक्ष्मी की प्राप्त की जा सकती है,
"ऊं ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः" मंत्र का जप करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।
जिनकी जन्मपत्रिका में बुध तीसरे, छठे या ग्यारहवें घर का मालिक होकर अकारक हो या मार्केश हो, उन्हें भोजपत्र पर अनार की कलम से केसर की स्याही बनाकर आज के दिन बुध यंत्र लिखना चाहिए और इस यंत्र को 107 बार लिखकर नदी में बहा देना चाहिए, जबकि 108 वीं बार इस यंत्र को बनाकर ताबीज में भरकर गले में पहनने से बुध ग्रह की शांति होती है।
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