दुनिया के आटोमोबाइल उद्योग को एक नई दिशा देने वाले उद्योगपति हेनरी फोर्ड ने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे थे। पिता के फार्म हाउस से वह संतुष्ट नहीं थे, लेकिन उनके पास इतना धन भी नहीं था कि कार बनाने का कारखाना खोल सकें। उन्होंने नौकरी की, अनुभव लिया और धन जमा किया, तब कहीं जाकर वह फोर्ड मोटर कंपनी की स्थापना कर सके थे। दुनिया के सबसे अमीर आदमियों की कतार में तो वह उसके भी बहुत बाद में आए थे।
अपने जिंदगी के तजुर्बों से सबक लेकर ही वह युवाओं को सीख दिया करते थे कि जिंदगी में कभी हार मत मानो। अगर किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है, तो हालात खिलाफ होने का रोना मत रोओ। फोर्ड कहते थे कि अगर हालात भी आपके खिलाफ हैं, तो भी अपना मनोबल बनाए रखो। वह युवाओं को हवाई जहाज़ की याद दिलाते थे और कहते थे कि हवाई जहाज़ ज़मीन पर इस बात का इंतज़ार नहीं करता कि उसके अनुकूल हवा चले, तो वह टेक ऑफ करे, बल्कि वह तो हवा को चीरकर ही आसमान में ऊपर उठता है।
हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को अमेरिका में हुआ था। असेम्बली लाइन तकनीक की खोज करने श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। यह उनका ही विज़न था कि अमेरिका में उस ज़माने में भी मध्यम वर्ग के लोग कार खरीद पा रहे थे। हेनरी फोर्ड ने खूब धन कमाया, लेकिन अपनी संपत्ति का ज़्यादातर हिस्सा फोर्ड फाउंडेशन को दे दिया। आज भी फोर्ड फाउंडेशन हेनरी फोर्ड के परिवार के ही अधिकार में है।
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