धर्म डेस्क: लगातार दूसरे वर्ष तिथि घटने से पितृ पक्ष का एक दिन कम हो गया है। इस बार श्राद्ध छह सितंबर से शुरू होंगे। इसी दिन दोपहर में प्रतिपदा का श्राद्ध भी होगा। 15 दिन बाद 20 सितंबर यानी बुधवार को सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समापन होगा। जानिए किस दिन किस व्यक्ति का करें श्राद्ध साथ ही जानिए क्या क्यों किया जाता है श्राद्ध।
जानिए क्य़ा है श्राद्ध
श्राद्ध में जो दान हम अपने पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है। जो जिस दिन इस संसार से मुक्ति पाता है उसी दिन उसका श्राद्ध किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को दान-पुण्य किया जाता है। जिससे प्रसन्न होकर पूर्वज आपको मनचाहा वरदान देते है।
इस बारे हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्टर को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त करता है। श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धर्म को चाहनें वालों को धर्म, संतान को चाहनें वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार वरदान देते है।
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गरूण पुराण के अध्याय 218 में बताया गया है कि श्राद्ध दो प्रकार के होते है।
1. सपात्रक श्राद्ध- इसमें विश्व देव और पितरों के रूप में साक्षात ब्राह्मणों को उनके आसन में बिठाकर विधि विधान से पूजा कर भोजन कराया जाता है। लेकिन कलयुग में इस तरह के ब्राह्मण मिलना मुश्किल है। इसलिए असपात्रक श्राद्ध किया जाता है।
2. अपात्रक श्राद्ध- इस श्राद्ध में ब्राह्मणों को उनके आसन में नही बिठाया जाता है। पितरों के आसनों में कुश सें बना कर पितर बैठाया जाता है। तब भोजन कराया जाता है।
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