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पितृ पक्ष अमावस्या: इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें अपने पूर्वजों को विदा

आश्विन अमावस्या पितृगण के निमित विशेष पर्व है, जिसमें पितृ के लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि करके व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्ति पा सकता है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से किस शुभ मुहूर्त और कैसे करें अपने पितरों को विदा..

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शुभ मुहूर्त
मंगलवार को दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होकर 20 सितंबर को सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
राहुकाल शाम 3 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 4 जबकर 46 मिनट तक है जिसमें श्राद्ध वर्जित है। ऐसे में व्यवस्था है कि राहुकाल से बाद तर्पण व पिण्डदान करें।

ये है 3 श्रेष्ठ मुहूर्त
कुतुप: दिन 11 बजकर 52 मिनट से दोहपर 12 बजकर 41 मिनट तक
रौहिण: दोपहर 12 बजकर 41 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट तक इसके बाद 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 50 मिनट तक।
अभिजीत महूर्त: सुबह 11 बजकर 50 मिनट दोहपर 12 बजकर 38 मिनट तक।

अधिक सुबह या अधिक दोपहर में श्राद्ध करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जब सूरज की रौशनी आपके पैरों को छूने लगे तब श्राद्ध का सबसे सही समय होता है। सुबह के 8 बजे से लेकर 11 बजे तक श्राद्ध कर लेना ही शुभ माना गया है।

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