फाल्गुन अमावस्या के साथ बन रहा है खास योग, करें इस मंत्र का जाप हर काम में मिलेगी अपार सफलता
रविवार से यश, कीर्ति, मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है और सबसे बढ़ कर आज शिव योग है- इस योग की खूबी ये है कि इस योग में पढ़ा गया मंत्र अवश्य सफल होता है।
आज फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और रविवार का दिन है | अमावस्या तिथि आज रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी | हिंदी सम्वत का आखिरी महीना फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को फाल्गुनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है | शास्त्रों में फाल्गुन मास में आने वाली इस अमावस्या को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया गया है, क्योंकि इससे ठीक एक दिन पहले देवों के देव महादेव का पावन पर्व महाशिवरात्रि मनाई जाती है | आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज सुबह 7 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर अगले दिन की सुबह 8 बजकर 3 मिनट तक शिव योग रहेगा | इस योग के दौरान किये गये सभी कार्यों में, विशेषकर कि मंत्र प्रयोग में विशेष सफलता मिलती है। दुर्गा सप्तशती के दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत के अंत में कहा गया है कि -
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं भवेत् सम्पदां पदम्
यानि अमावस्या की रात हो, मंगलवार का दिन और चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र में हो, तो इस यंत्र को विधि पूर्वक लिख कर धारण करने से मनुष्य संपत्तिशाली हो जाता है। आज अमावस्या की रात है, चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर है | बस केवल मंगलवार के बजाय रविवार है | सुधी दर्शक जानते है कि- रविवार का तंत्र में वही महत्त्व है, जो मंगलवार का है | मंगलवार से धन मिलेगा, रविवार से यश, कीर्ति, मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है और सबसे बढ़ कर आज शिव योग है- इस योग की खूबी ये है कि इस योग में पढ़ा गया मंत्र अवश्य सफल होता है।
गोरोचनालक्तककुड़्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण |
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः
अमावस्या पर बना सबसे फलदायी संयोग ! यंत्र सिद्धि का मौका
गोरोचनालक्तककुड़्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण
गोरोचनालक्तककुड़्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण
भवेत् सदा धारयते पुरारिः
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और अब मैं आपको दुर्गा जी के वे 108 नाम सुना देता हूं, जिन्हें लिख कर धारण करने से, पढ़ने से या सुनाने से सभी प्रकार से आपको सफलता प्राप्त होगी -
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी |
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेता शूलधारिणी ||
पिनाकधारिणी चित्रा चंडघंटा महातपाः |
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः ||
सर्वमंत्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी |
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः ||
शाम्भवी देवमाता च चिंता रत्नप्रिया सदा |
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ||
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती |
पट्टाम्बरपरिधाना कलमञ्जीररञ्जिनी ||
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी |
वनदुर्गा च मातड़्गी मतड़्गमुनिपूजिता ||
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा |
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः ||
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा |
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बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ||
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी |
मधुकैटभहंत्री च चंडमुंडविनाशिनी ||
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी |
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा ||
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी |
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यति: ||
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा |
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला ||
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी |
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी ||
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी |
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ||
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम् |
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति ||
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च |
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम् ||