आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की उदया तिथि चतुर्थी की दोपहर 1 बजे से शुरू होकर 3 जुलाई की सुबह 6 बजे तक पंचक रहेंगे। सोमवार को शुरू होने के कारण इसे राज पंचक कह जाता है। धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही पांच नक्षत्रों का एक समूह है। धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं।
ये काम करना होगा शुभ
राज पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।
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पंचक में इन कामों को करने की है मनाही
आचार्य इंदु प्रकाश के अुसार पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठा करना, चारपाई बनवाना, घर की छत ढलवाने, दक्षिण दिशा की यात्रा करना आदि की मनाही होती है।
- पंचक के दौरान बिजनेस को लेकर किसी भी तरह का लेनदेन नहीं करना चाहिए।
- पंचक के दिनों में किसी भी तरह की यात्रा की शुरूआत न करे।
- अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुल्हन को घर नहीं लाना चाहिए और न ही विदा करना चाहिए।
- लकड़ी आदि का कार्य भी नहीं करना चाहिए और ना ही घर बनाने के लिये लकड़ी इकट्ठी करनी चाहिए। ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है।
- पूरे पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
- चारपाई या बेड नहीं लेना चाहिए और ना ही बनवाना चाहिए।
- अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।
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