धर्म डेस्क: पुरुषोत्तम मास की एकादशी को सभी एकादशियों से ज्यादा महत्व होता है। ज्योष्ट मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जब ज्यादा महत्वपूर्म होती है। तब यह अधिक मास में पड़े। यह एकादशी हर साल नहीं आती बल्किन 3 साल बाद पड़ती है। इस बार की एकादशी का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इस बार बहुत ही शुभ संयोग है।
3 वर्ष बाद आए अधिकमास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी में बहुत ही अद्भुत संयोग है। इसमें अधिकमास, एकादशी के और शुक्रवार का शुभ संयोग है जो मां लक्ष्मी का दिन है। इसलिए आज के दिन ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए। जिससे कि भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाएं। इसदिन पूजा-पाठ ध्यान करें। इससे आपको फल जरुर मिलेगा। इसके साथ ही आज शाम तक इन कामों में से एक भी काम न करें। जिससे आपके व्रत का फल उल्टा हो।
न करें ये काम
- इस एकादशी व्रत में जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए परन्तु यदि ऐसा संभव न हो तो व्रत में कांसे के बर्तनों में भोजन न करें।
- मूंग, मसूर, चना, कद्दू, शाक और मधु का भी सेवन न करें।
- कभी भी पूजा करते समय चावल का इस्तेमाल न करें। उसकी जगह तिल का करें इस्तेमाल करें। शास्त्रों के अनुसार एकादशी में चावल का सेवन करने से मन में चंचलता आती है जिसके कारण मन भटकता है इसलिए चावल खाने से बचना चाहिए।
- भगवान विष्णु को भोग तुलसी दल के साथ लगाएं।
- एकादशी दिन आलस्य करना वर्जित माना जाता है। इसलिए बिल्कुल न करें।
- एकादशी की रात बिस्तर में नहीं सोना चाहिए। इससे आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा।
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