A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र निर्जला एकादशी 16 को: इस पूजा विधि, कथा से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

निर्जला एकादशी 16 को: इस पूजा विधि, कथा से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

निर्जला एकादशी को भीषण गर्मी में व्रत रखने वाला बिना पानी पिएं रहता है। जो कि बहुत ही कठोर व्रत माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने का विधान है। तभी आपको फल की प्राप्ति होती है। जानिए इस पूजा-विधि, कथा के बारें में पूरी जानकारी।

nirjala ekadashi- India TV Hindi nirjala ekadashi

धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में सभी धर्मों में से एकादशी भी बहुत महत्वपूर्ण है। हर साल 14 एकादशी पड़ती है। इन्हीं में से एक है निर्जला एकादशी। भगवान विष्णु को सभी व्रतों में एकादशी सबसे प्रिय है।

ये भी पढ़े-

हिंदू शास्त्र पद्म पुराण के अनुसार एकादशी व्रत करने वाले व्यक्त‌ि पर भगवान व‌िष्‍णु प्रसन्न होते हैं और उनके ल‌िए मोक्ष का द्वार खुला रहता है। लेक‌िन एकादशी व्रत के कुछ न‌ियम भी हैं ज‌िनका पालन करना जरुरी होता है।

जो व्यक्त‌ि यह व्रत नहीं भी रखते हैं उन्हें भी एकादशी के द‌िन कुछ न‌ियमों का पालन करना चाह‌िए इससे जीते जी तो सांसारिक लाभ म‌िलता ही है मृत्यु के बाद भी परलोक में सुख म‌िलता है। इस बार निर्जला एकादशी 16 जून, गुरुवार को है।

निर्जला एकादशी को भीषण गर्मी में व्रत रखने वाला बिना पानी पिएं रहता है। जो कि बहुत ही कठोर व्रत माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने का विधान है। तभी आपको फल की प्राप्ति होती है। जानिए इस पूजा-विधि, कथा के बारें में पूरी जानकारी।

ऐसे करें पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में जगकर सभी कामों से निवृत्त होकर भगवान का स्मरण करें। इसके बाद शेषशायी भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद मन को शांत रखते हुए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। शाम को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें व रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्राम करें।

अगले दूसरे दिन यानी की 17 जून, शुक्रवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।

इस एकादशी का व्रत करने से अन्य तेईस एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है-

एवं य: कुरुते पूर्णा द्वादशीं पापनासिनीम् ।
सर्वपापविनिर्मुक्त: पदं गच्छन्त्यनामयम् ॥

इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

अगली स्लाइड में पढ़े कथा के बारें में

Latest Lifestyle News