Chaitra Navratri 2021: इन चीजों के बिना अधूरा है चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना, देखें पूरी सामग्री लिस्ट
चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है। बाकी दो नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना हेतु करने का विधान है।
नवरात्रि का यह त्योहार हमारे भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है | वैसे तो पुराणों में एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्रि का जिक्र किया गया है, लेकिन चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है | बाकी दो नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना हेतु करने का विधान है | इसलिए इनका आम लोगों के जीवन में कोई महत्व नहीं है।
नवरात्रि के आखिरी दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है व व्रत तोड़ा जाता है | यह हमारी भारतीय संस्कृति का ऐसा त्योहार है जो नारी की महत्ता को, उसकी शक्ति को दर्शाता है| नारी वह शक्ति है जो अपने अंदर असीम ऊर्जा को समाये हुये है, जिसके बिना मनुष्य की संरचना, पोषण, रक्षा और आनंद की कल्पना नहीं की जा सकती और नवरात्रि में हम उसी नारी शक्ति को देवी मां के रूप में पूजते हैं। चैत्र में आने वाले नवरात्रि में कुल देवी-देवताओं की पूजा का भी विशेष प्रावधान बताया गया है। नवरात्रि के अंतिम दिन भगवान श्री राम का जन्म होने के कारण नौवें दिन को राम नवमी के नाम से जाना जाता है।
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नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के निमित्त घटस्थापना की जाती हैं। इन नौ दिनों में मां को तरह-तरह के भोग चढ़ाए जाते हैं। विभिन्न तरह की पूजा सामग्री की जरूरत होती है। अगर आप भी अपने घर में मां दुर्गा के आगमन में लगे हुए हैं तो पूजा समाग्री की पूरी लिस्ट देख लें। जिससे कि पूजा करते समय किसी परेशानी का सामना करना पड़े।
कलश स्थापना के लिए सामग्री
मिट्टी का कलश के साथ ढकने के लिए पराई जौ, साफ मिट्टी, रक्षा सूत्र, लौंग इलाइची, रोली, कपूर, आम के पत्ते, पान के पत्ते, साबुत सुपारी, अक्षत, नारियल, फूल, फल, चावल या फिर गेंहू, मिठाई, फल, मेवे, पूजा थाली, गंगाजल, नवग्रह पूजन आदि।
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मां दुर्गा के श्रृंगार का सामान की लिस्ट
नवरात्रिि के दिनों में माता के श्रृंगार का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसलिए इसकी सामग्री लाना बेहद जरूरी है। आप चाहे को 9 दिन रोज श्रृंगार कर सकते हैं या फिर नवरात्रि के पहले दिन से लेकर अष्टमी के दिन तक पूजा से पहले देवी का श्रृंगार करें। इसके लिए लाल चुनरी के साथ लाल चूड़ियां, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, आलता, बिंदी, शीशा, कंघी जैसे श्रृंगार शामिल हो। इसके साथ ही माता की तस्वीर रखने के लिए चौकी और बिछाने के लिए लाल रंग का कपड़ा ले लें।
प्रसाद के लिए सामग्री
फूलदाना, मिठाई, मेवा, फल, इलायची, मखाना, लौंग, मिश्री आदि होनी चाहिए।
अखंड ज्योति के लिए सामग्री
अगर आप नौ दिन का व्रत रख रहे हैं या फिर आप ऐसे ही नौ दिन अखंड ज्योति जला रहे हैं तो शुद्ध घी, बड़ा दीपक (पीतल), बाती और थोड़े चावल। इसके साथ ही दीपक को बंद होने से बचाने के लिए कांच का शीशा ढकने के लिए।
हवन के लिए सामग्री
हवन कुंड, रोजाना लौंग के 9 जोड़े, कपूर, सुपारी, गुग्गुल, लोबान, घी, पांच मेवा, चावल, आम की लकड़ी, धूप, लकड़ी, नौ ग्रह की लकड़ी आदि।
कन्या पूजन के लिए
कन्याओं के लिए वस्त्र, प्लेट, उपहार, अनाज, दक्षिणा आदि।