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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र 7th Day Of Navratri: नवरात्र के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें भोग, मंत्र और कथा

7th Day Of Navratri: नवरात्र के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें भोग, मंत्र और कथा

नवरात्र के सातवें दिन दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा की जायेगी।

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नवरात्रि का सातवां दिन है । सप्तमी तिथि 04 अक्टूबर की सुबह 09 बजकर 36 मिनट से शुरू हो चुकी है और 5 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा की जायेगी। मां कालरात्रि को शुंभकरी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी कालरात्रि की उपासना करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का भय नहीं रहता। उनके मन से हर प्रकार का डर दूर होता है। अगर आपको भी ऐसा ही कोई डर है, या कोई शत्रु आपके पीछे पड़ा हुआ है या आपके घर की सुख-शांति कहीं खो गई है, तो सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की उपासना जरूर करनी चाहिए ।

मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है मां कालरात्रि। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि के रूप को उत्पन्न किया। मां के इस रूप की पूजा करने से बुरे समय का नाश होता है और इनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

मां कालरात्रि पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा सुबह चार से 6 बजे तक करनी चाहिए। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मकर और कुंभ राशि के जातको को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए। परेशानी में हो तो सात या नौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव, इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

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मां कालरात्रि के इस मंत्र का करें जाप
मां कालरात्रि पूजा में इस मंत्र का जाप करें: एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां कालरात्रि को भोग
सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं। ऐसा करने दरिद्रता का नाश होता है।

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मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कहा जाता है तीनों लोकों में असुरों ने हाहाकार मचा रखा था। इससे लोग बेहद परेशान थे। जिसके लिए सभी देवतागण मां दुर्गा के पास गए। तभी भगवान शिव ने मां दुर्गा से सभी भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा। तब मां दुर्गा ने अन्य रूप धारण कर असुर रक्तबीज का वध किया। मां दुर्गा के इसी रूप को मां कालरात्रि कहा गया।

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