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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Navratri 2019: नवरात्रि के आखिरी दिन ऐसे करें कन्या पूजन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Navratri 2019: नवरात्रि के आखिरी दिन ऐसे करें कन्या पूजन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नवरात्र के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए क्षेष्ठ दिन माना जाता है। जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

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नवरात्र के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। अष्टमी और नवमी का दिन कन्या पूजन के लिए क्षेष्ठ दिन माना जाता है। इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हुए थे जो 8 अक्टूबर को दशहरा के साथ समाप्त होगे। इन दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी के दिन कन्‍याओं की पूजा कर व्रत का उद्यापन करते हैं। मान्यता है कि इन कन्याओं को देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती है। इस बार अष्टमी 6 अक्टूबर को और नवमी 7 अक्टूबर को है।

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का क्यों है महत्व?
नवरात्र के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्तों का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं।

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कन्‍या पूजा का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि 05 अक्टूबर की सुबह 09 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 6 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी जो 07 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।

कन्याओं की उम्र
कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर तथा 10 साल तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 होनी ही चाहिए। अगर 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई समस्या नहीं है | इसके साथ ही 9 कन्याओं के साथ एक बालक जरूर बिठाएं।

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कन्या पूजन विधि
जिन कन्याओ को भोज पर खाने के लिए बुलाना है , उन्हें एक दिन पहले ही न्यौता दे दे। गृह प्रवेश पर कन्याओ का पूरे परिवार के सदस्य फूल वर्षा से स्वागत करे और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाए। अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर इन सभी के पैरों को बारी- बारी दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। अब उन्‍हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद उनके हाथ में मौली बांधें। अब सभी कन्‍याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती करें। आरती के बाद सभी कन्‍याओं को भोग लगाएं। भोजन के बाद कन्‍याओं को भेंट और उपहार दें।

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