धर्म डेस्क: नवरात्र की धूम हर जगह मची है। पूरे भारत में खासकर नॉर्थ इंडिया में नवरात्र की लहर है। नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं अगर मां कात्यायनी देवी की पूजा करती हैं, तो उनके विवाह का योग जल्दी बनता है। जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो उनके लिए कात्यायनी देवी के मंत्र का जप अति लाभदायक होता है।
माना जाता है कि मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने खुद उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं अगर मां कात्यायनी देवी की पूजा करती हैं, तो उनके विवाह का योग जल्दी बनता है। जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो उनके लिए कात्यायनी देवी के मंत्र का जप अति लाभदायक होता है।
माना जाता है कि मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने खुद उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
यूं करें पूजा
पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि गोधूलि वेला के समय यानी जब सूर्यास्त हो रहा हो, तब इनकी पूजा करना सबसे अच्छा होता है। मां को पीले फूल और पीली मिठाई अपर्ति करें। उन्हें चांदी या मिट्टी के पात्र के रखकर शहद अर्पित करना भी काफी शुभ होता है। घी का दीपक जलाएं। मां को लाल और पीले वस्त्र भी अर्पित करें। इसके बाद मंत्रों का जप करें।
बता दें कि कात्यायनी देवी के इस मंत्र का जप कर रहा हूं इसमें मुझे सफलता प्रदान करें, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे और बोले ॐ श्री विष्णवे नमः – ॐ श्री विष्णवे नमः – ॐ श्री विष्णवे नमः।
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