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Navratri 2018: आज ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा, ऐसे अर्चना कर प्राप्त करें मां का आर्शीवाद

Navratri 2018: नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। इस बार यह तीसरे दिन पड़ रहा है। जानें मां कुष्मांडा देवी की पूजन विधि और ध्यान मंत्र।

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धर्म डेस्क: आज नवरात्र का तीसरा दिन है। यानी आज मां कुषश्मांडा देवी की पूजा होगी। इनकी पूजा तीसरे दिन होने का कारण है क्योंकि नवरात्र के पहले दिन ही मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की गई थी। आश्विन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और शुक्रवार का दिन है। आज सुबह 10:40 से लेकर कल सुबह 11:35 तक सारे काम बनाने वाला रवि योग रहेगा। इसके साथ ही नवरात्र के तीसरे दिन मां कुष्मांडा का दिन माना जाता है। देवी कुष्मांडा आदिशक्ति का चौथा स्वरूप हैं। जानें मां कुष्मांडा की पूजा विधि और मंत्रों के बारें में।

कौन है मां कुष्मांडा?
माता को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। मां कुष्माण्डा की आठ भुजायें होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। कहते हैं सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता अगर किसी में है तो वह केवल मां कुष्माण्डा में ही है। साथ ही माना जाता है कि देवी कुष्माण्डासूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। (Navratri 2018: मां को पसंद है ये भोग, जानें किस दिन मां को क्या चढ़ाएं )

परिवार में खुशहाली के लिये, अच्छे स्वास्थ्य के लिये और यश, बल तथा आयु की वृद्धि के लिये आज के दिन मां कुष्माण्डा का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए-'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:' .. (Navratri 2018: नवरात्र में बोएं गए जौ देते है आपके भविष्य में आने वाले संकट और खुशहाली का संकेत, ऐसे जानें )

ऐसे करें पूजा
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करें फिर मां कुष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

फिर मां कुष्मांडा के इस मंत्र का जाप करें।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।

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ध्यान

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥

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