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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र 20 साल बना ऐसा संयोग इस शुभ मुहूर्त में करें घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा

20 साल बना ऐसा संयोग इस शुभ मुहूर्त में करें घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा

धर्म डेस्क: 20 साल बाद ऐसा हो रहा है जब अमावस्या और नवरात्र एक ही दिन पड़ रहे हैं। जिसके कारण भक्त सुबह अमावस्या के पितृ कार्य करें या फिर नवरात्र की कलश स्थापना। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा 20 साल बाद हुआ है जब तिथियों में इस तरह का फेर देखा जा रहा है

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धर्म डेस्क: 20 साल बाद ऐसा हो रहा है जब अमावस्या और नवरात्र एक ही दिन पड़ रहे हैं। जिसके कारण भक्त सुबह अमावस्या के पितृ कार्य करें या फिर नवरात्र की कलश स्थापना। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा 20 साल बाद हुआ है जब तिथियों में इस तरह का फेर देखा जा रहा है।

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मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं। इनका नाम शैलपुत्री हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। दुर्गा पूजा में सबसे पहले कलश स्थापना किया जाता है। जिसके बिना आप की पूजा पूर्ण नही होती है।

हिंदू धर्म के अनुसार कलश को मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इसका पूजा सबसे पहले की जाती है। जानिए पहले दिन पूजी जाने वाली शैलपुत्री की पूजन विधि के बारे में।

नवरात्रि में दुर्गा को मातृ शक्ति, करूणा की देवी मानकर पूजा करते है। इसलिए इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने हेतु प्रार्थना और उनका आहवान किया जाता है। नवरात्र में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है।

घट स्थापना मुहूर्त
पंचांगों के अनुसार 28 मार्च को सुबह 8 बजकर 27 मिनट चैत्र अमावस्या समाप्त हो रही है। वहीं चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा तिथि 28 मार्च को सुबह 8 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 29 मार्च को सुबह 6 बजकर 25 मिनट में समाप्त हो जाएगी।

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