नवरात्र: पहले दिन ऐसे करें माता शैलपुत्री की पूजा
मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं। इनका नाम शैलपुत्री हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। जानिए मां की पूजा विधि के बारें में..
धर्म डेस्क: नवरात्र यानि की दुर्गा पूजा के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। वैसे तो साल में दो बार नवरात्र आते है। एक तो चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में होता है। इस बार 1 अक्टूबर से नवरात्र शुरु हो रहे है। जो कि 10 अक्टूबर तक चलेगें। 11 अक्टूबर को दशमी है। नवरात्र पूजन के प्रथम दिन मां शैलपुत्री जी का पूजन होता है।
ये भी पढ़े-
- नवरात्र: इस विधि से करें घट स्थापना, जानिए शुभ मुहूर्त
- 427 साल बाद विशेष संयोग के साथ ही शुभ ग्रहों के योग में मनेगा नवरात्र
- शारदीय नवरात्र 1 से: भूलकर भी न करें ये काम, मां दुर्गा हो जाएगी नाराज
- शारदीय नवरात्र: मां दुर्गा का जाप करते समय न करें ये गलतियां
मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं। इनका नाम शैलपुत्री हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। दुर्गा पूजा में सबसे पहले कलश स्थापना किया जाता है। जिसके बिना आप की पूजा पूर्ण नही होती है।
हिंदू धर्म के अनुसार कलश को मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इसका पूजा सबसे पहले की जाती है। जानिए पहले दिन पूजी जाने वाली शैलपुत्री की पूजन विधि के बारे में।
नवरात्रि में दुर्गा को मातृ शक्ति, करूणा की देवी मानकर पूजा करते है। इसलिए इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने हेतु प्रार्थना और उनका आहवान किया जाता है। नवरात्र में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है।
पूजा विधि-
सबसे पहले चौकी पर माता शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां शैलपुत्री सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
अगली स्लाइड में मंत्र के बारें में