धर्म डेस्क: नरसिंह पुराण के अनुसार हेमाद्रि व्रतखण्ड के भाग- 2 के पृष्ठ 41 से 49 तक, पुरुषार्थचिन्तामणि के पृष्ठ 237 से 238 में इसे नृसिंह जयंती के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था। अतः आज के दिन भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की पूजा की जाती है।
नृसिंह चतुर्दशी, हस्त नक्षत्र वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि सुबह 07:12 पर ही समाप्त हो चुकी है। अतः फिलहाल चतुर्दशी तिथि चल रही है। वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह चतुर्दशी मनाई जाती है।
कहते हैं वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के साथ अगर स्वाति नक्षत्र, शनिवार का दिन, सिद्धि योग एवं वणिज करण हो तो करोड़ गुना पुण्य प्राप्त होता है और आपको बता दूं कि आज ये सारी चीज़ें एक साथ हैं। आज के दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के साथ स्वाति नक्षत्र, शनिवार का दिन, सिद्धि योग एवं वणिज करण भी है। आज नृसिंह चतुर्दशी के दिन भगवान नृसिंह के निमित्त व्रत रखने की भी परंपरा है। इस साल नरसिंह जयंती 28 अप्रैल 2018, शनिवार को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त
मध्याह्न संकल्प का शुभ मुहूर्त: 11:00 से 01:37
सायंकाल पूजन का समय: 04:13 से 06:50
पूजा की अवधि: 2 घंटा 36 मिनट
पूजा विधि
आज के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर, ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को साफ करके, उस कोने को गाय के गोबर से लीपकर, उस पर आठ पंखुड़ियों वाला कमलदल बनाएं। फिर उस कमल के बीचों-बीच एक कलश स्थापित करें और कलश के ऊपर एक चावलों से भरा हुआ बर्तन रखें। अब उस चावलों से भरे बर्तन के ऊपर देवी लक्ष्मी के साथ भगवान नृसिंह की प्रतिमा रखें और पूजन विधि आरंभ करें। सबसे पहले मूर्तियों को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर चंदन, कपूर, रोली, तुलसीदल, फल-फूल, पीले वस्त्र आदि भगवान को भेंट करें और फिर धूप दीप आदि से भगवान की पूजा करें। साथ ही शारदातिलक में दिये भगवान नृसिंह के इस मंत्र का जाप करें। मंत्र है-
“ॐ उग्रवीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥“
आज के दिन इस मंत्र का जाप करके आप कुछ भी कर सकते हैं। आज के दिन इस मंत्र का जाप करने से आपको अथाह ज्ञान की प्राप्ति होगी। साथ ही आपको किसी प्रकार का कोई भय नहीं होगा। आपको कोई बुरी शक्ति परेशान नहीं कर पायेगी। आप इस एक मंत्र के जाप से अपने शत्रुओं समेत किसी का भी उच्चाटन कर सकते हैं। किसी को भी स्तम्भित करके अपने वश में कर सकते हैं और शत्रुओं का नाश कर सकते हैं।
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