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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर इस तरह जलाएं यम का दीपक, होगा शुभ

Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर इस तरह जलाएं यम का दीपक, होगा शुभ

नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान करने से व्यक्ति के अन्दर एक नयी ऊर्जा का संचार होता है और उसे निगेटिविटी से छुटकारा मिलता है।

narak chaturdarshi- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/ARTISTRYTHEHUNNAR नकर चतुदर्शी

कार्तिक मास की चतुर्दशी को विधि-विधान से पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ सुख-समृद्धि बनी रहती है। नरक चतुर्दशी की शाम को दीपदान की विशेष प्रथा है जो यमराज के लिए की जाती है। 

नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय दीपदान करने का भी महत्व है। कहते हैं इस दिन दीपदान करने से व्यक्ति के अन्दर एक नयी ऊर्जा का संचार होता है और उसे निगेटिविटी से छुटकारा मिलता है। इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान जरूर करना चाहिए। 

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आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार ग्रन्थों में इस दिन नरकासुर के निमित्त चार दीपक जलाने की भी परंपरा है। ये दीपक दक्षिण दिशा में जलाए जाने चाहिए, साथ ही भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवी-देवताओं के मन्दिरों में, मठों में, अस्त्रागारों में यानी जहां पर अस्त्र आदि रखे जाते हों, बाग-बगीचों में, घर के आंगन में और नदियों के पास दीपक जलाने चाहिए। अपने जीवन में ऊर्जा के साथ ही नयी रोशनी का संचार करने के लिये आस-पास इन सभी जगहों पर दीपक जरूर जलाना चाहिए।

यम के नाम लेकर जलाएं दीपक

मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपक जलाने की भी परंपरा है। इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तिल या सरसों का तेल डालकर चार बत्तियों वाला ये दीपक जलाती है। विधि-विधान से पूजा करने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप करते हुए यम का पूजन करना चाहिए। 

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पुराणों के अनुसार इस दिन यमराज के 14 नाम लेकर यमराज को नमस्कार करने से नर्क नहीं जाना पड़ता है। मदन पारिजात नामक ग्रंथ के पृष्ठ 256 पर वृद्ध मनु के हवाले से यमराज के 14 नाम इस तरह बताए गये हैं-

यमाय धर्मराजाय मृत्यवे चांतकाय च, वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च।
औदुम्बराय दध्नाय नीलाय परमेष्ठिने, व्रकोदराय चित्राय चित्रगुप्ताय वै नम:।।

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