नागपंचमी: नागों की जीभ के दो टुकड़े होने का है ये कारण, जानिए और भी दिलचस्प बातें
महाभारत के आदि पर्व में नागों की उत्पत्ति और राजा जनमेजय द्वारा किए गए नागदाह यज्ञ से संबंधित कथा का वर्णन है। जानिए नाग के बारें में कुछ रोचक बातों बारें में।
धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में नाग पंचमी का बहुत अधिक महत्व है। हिंदू पंचाग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को हर जगह अपने-अपमने तरीके से मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी में बहुत ही शुभ संयोग है। जिसमें नाग देवता को दूध पिलाना और विधि-विधान से पूजा करना बहुत ही शुभ होगा। इस बार नाग पंचमी 28 जुलाई, गुरुवार को है। (नागपंचमी 28 को: इस बार बन रहा है विशेष संयोग, ऐसे करें पूजा)
नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध पिलाने का परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन नाग देवता को दूध पिलाने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है। आपके दिमाग में भी यह बात जरुर घूमती होगी कि यह धरती पर आएं कैसै सिर्फ नाग पंचमी को ही दूध पिलाना ज्यादा शुभ क्यों होता है। नाग की जीभ के 2 टुकड़े क्यों होते है। नाग दाह यज्ञ क्यों किया गया। लेकिन हमें किसी का भी उत्तर नहीं पता होता है। (तीन मुखी रुद्राक्ष दिलाता है कई बीमारियों से निजात, जानिए और फायदे)
महाभारत के आदि पर्व में नागों की उत्पत्ति और राजा जनमेजय द्वारा किए गए नागदाह यज्ञ से संबंधित कथा का वर्णन है। जानिए नाग के बारें में कुछ रोचक बातों बारें में।
इस कारण है नाग के जीभ के दो टुकड़े
नाग के जीभ के दो टुकड़े होने के पीछे भी कहा है कि किस कारण जीभ के दो भाग है। जब गरुड़ को यह पता चला कि उनकी मां दासी बन गई है तो उन्होंने कद्रू और उनके सर्प पुत्रों से पूछा कि तुम्हें मैं ऐसी कौन सी वस्तु लाकर दूं जिससे कि मेरी माता तुम्हारे दासत्व से मुक्त हो जाए। तब सर्पों ने कहा कि तुम हमें स्वर्ग से अमृत लाकर दोगे तो तुम्हारी माता दासत्व से मुक्त हो जाएगी।
अपने पराक्रम से गरुड़ स्वर्ग से अमृत कलश ले आए और उसे कुशा (एक प्रकार की धारदार घास) पर रख दिया। अमृत पीने से पहले जब सर्प स्नान करने गए तभी देवराज इंद्र अमृत कलश लेकर उठाकर पुन: स्वर्ग ले गए। यह देखकर सांपों ने उस घास को चाटना शुरू कर दिया जिस पर अमृत कलश रखा था, उन्हें लगा कि इस स्थान पर थोड़ा अमृत का अंश अवश्य होगा। ऐसा करने से ही उनकी जीभ के दो टुकड़े हो गए।
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