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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र अनोखी परंपरा जहां दी जाती है रक्तहीन बलि...

अनोखी परंपरा जहां दी जाती है रक्तहीन बलि...

इस मंदिर में पूजा 1900 सालों से लगातार होती चली आ रही है। यह मंदिर पूरी तरह से जीवंत है। पौराणिक और धार्मिक प्रधानता वाले इस मंदिर के मूल देवता हजारों वर्ष पूर्व नारायण अथवा विष्णु थे। जानिए इस अनोखे मंदिर के बारें में।

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धर्म डेस्क: वैसे तो भारत में कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं। जो अपनी परंपरा, चमत्कार, शक्ति के कारण प्रसिद्ध है। हर देवी-देवता के मंदिर की कोई न कोई खाशियत होती है। जिसके कारण लोगों के मन में हर देवी-दवता के लिए अपनी ही श्रृद्धा होती है। इसी तरह एक मंदिर बिहार में है जो अपने चमत्कारों के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर में दूर-दूर से ही नहीं विदेशों से भी भक्त आते है।

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बिहार के भभुआ में मुंडेश्वरी मंदिर है जो कि काफी प्राचीन और धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर को कब किसने बनाया है इस बारें में कहना कठिन है, लेकिन यहां पर लगे शिलालेख के अनुसार उदय सेन नामक क्षत्रप के शासन काल में इसका निर्माण हुआ। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह मंदिर भारत के सर्वाधिक प्राचीन व सुंदर मंदिरों में एक है।

इस मंदिर में पूजा 1900 सालों से लगातार होती चली आ रही है। यह मंदिर पूरी तरह से जीवंत है। पौराणिक और धार्मिक प्रधानता वाले इस मंदिर के मूल देवता हजारों वर्ष पूर्व नारायण अथवा विष्णु थे। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार भगवती ने इस इलाके में अत्याचारी असुर मुण्ड का वध किया। इसी से देवी का नाम मुंडेश्वरी पड़ा।

इस मंदिर के बारें में यहां पर स्थित शिलालेखों में इसका ऐतिहासिकता बताई गई है। इसके अनुसार 1938 से लेकर 1904 के बीच ब्रिटिश विद्वानों आरएन मार्टिन फ्रांसिस बुकानन व ब्लाक ने मंदिर का भ्रमण किया। ब्लाक ने 1903 में मंदिर परिसर के शिलालेख का एक खंड प्राप्त किया।

इसका दूसरा खंड 1892 में खोजा गया। 1790 ई में दो चित्रकारों थामस एवं विलियम डेनियल ने इस मंदिर का चित्र बनाया। चित्र पटना संग्रहालय में सुरक्षित है। 1878 में विलियम हंटर ने बंगाल सर्वे में इसकी जानकारी दी।

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