धर्म डेस्क: वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब दो ग्रह या अधिक आपस में संबंध बनाते है तो ज्योतिषीय योग बनता है। इनके संबंध बनने से राशियों के अनुसार प्रभाव पडता है। वो शुभ भी हो सकता है और अशुभ भी हो सकता है।
ये भी पढ़े- सपने में महिलाओं को दिखने का अर्थ
वैदिक पंचाग के अनुसार 20 फरवरी से लेकर 17 अप्रैल 2016 तक मंगल और शनि ग्रह वृश्चिक राशि में प्रवेश कर गए है। जिसके कारण यह स्थिति अशुभ मानी जा रही रही है। क्योंकि ये दोनो ग्रह एक दूसरे के बैरी और पापी ग्रह है।
ज्योतिषचार्यो के अनुसार एक साथ विपरीत स्वभाव के ग्रह होने के कारण राशि के अनुसार जातको के जीवन में उथल-पुथल आ सकती है। यह योग लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होने पर मंगल दोष को अधिक अमंगलकारी बनाता है जिसके फलस्वरूप जातक के जीवन में विवाह संबंधी कठिनाइयां आती हैं।
विवाह के रिश्ते टूटते हैं, विवाह देर से होता है, विवाहोत्तर जीवन अशांत रहता है, तथा विवाह विच्छेद तक की स्थिति पैदा हो जाती है। साथ ही धन हानि, विवाद, कई कामों में रुकावटें आ सकती है।
ज्योतिषियों के अनुसार अगर मंगल के एक राशि में 6 महीनों तक ठहरने के दौरान वह दुःख कारक ग्रह शनि से युति अथवा दृष्टि से संबंध स्थापित करें तो उस साल युद्ध, अल्प-वर्षा, आकाल और भूकंप से जन-धन की हानि होती हैl
शनि-मंगल की वृश्चिक में 20 फरवरी से 18 सितंबर तक रहने वाली यह युति पश्चिम दिशा में एक भयानक युद्ध का भी संकेत है। जानिए राशि के अनुसार आपका भविष्य कैसा होगा।
मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या
तुला वृश्चिक धनु मकर कुंभ मीन
अगली स्लाइड में पढ़े राशियों के अनुसार प्रभाव
Latest Lifestyle News