मंगल प्रदोष व्रत: इस पूजा विधि और कथा से करें भगवान शिव को प्रसन्न
धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस प्रदोष व्रत को करने से आपको शारीरिक समस्याओं और कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।
धर्म डेस्क: प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदिशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवन शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत व उपाय किए जाते हैं। इस बार 3 अक्टूबर, मंगलवार होने से मंगल प्रदोष व्रत का योग बन रहा है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस प्रदोष व्रत को करने से आपको शारीरिक समस्याओं और कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।
ऐसे करें पूजा
आचार्य के अनुसार इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को निपटाकर स्नान करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए भगवान शिव गणपति, कुमार कार्तिकेय, माता गौरा की पूजा और नाग पूजन करें। पूजा के समय गी का दीपक जलाएं।
सबेस पहले भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में कच्चा दूध, दही, शहद, देसी घी और शक्कर लेकर शिवाभिषेक करें। फिर भगवान शिव को बिल्व पत्र, फूल, धूप, गंध, चावल, दीप, सुपारी, लौंग, इलायची, भोग, फल और पान चढ़ाएं।
दिनभर भगवान शिव के मंत्र महामृत्युजंय के मंत्र का जाप करें।
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम |
उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात ||
शाम को दोबारा स्नान करके शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। माना जाता है कि भगवान शिव को अभिषेक अत्यंत प्रिय है| पूजा के समय पवित्र भस्म से स्वयं को पहले त्रिपुंड लगाना अत्यंत शुभ होता है| साथ ही सत्तू का बना प्रसाद सभी को बांट दें।
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