हिंदू पंचांग के अनुसार 14 मार्च स खरमास शुरू हो चुके हैं। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार जब सूर्यदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करता है तो सूर्य की मीन संक्रांति है। 14 मार्च को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश किया और 13 अप्रैल की देर रात 2 बजकर 33 मिनट तक मीन राशि में ही गोचर करते रहेगे। सूर्यदेव के मीन संक्रांति के साथ ही मीन खरमास भी प्रारम्भ हो जाता है। आपलोगों को पता ही होगा कि जब-जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु या मीन मे प्रवेश करते हैं तो खरमास आरंभ होते हैं।
खरमास लगने के कारण
माना जाता है कि सूर्यदेव अपने सात अश्वों यानि घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्माण्ड का भ्रमण करते है जिससे दुनियां गतिमान रहती है | कहते है कि- भ्रमण करते हुये घोड़ो को प्यास लगाती है और सूर्यदेव अपने घोड़ों को पानी पिलाने के लिए एक सरोवर पर रुकते है, लेकिन उन्हें ध्यान आता है कि उनके रुक जाने से सृष्टि अस्त-व्यस्त हो जाएगी तभी उन्हें सरोपर पर दो खर यानि गधे दिखाई देते है और सूर्यदेव अपने घोड़ों को आराम देकर गधों को रथ में हाक लेते है, जिससे सूर्य की गति धीमी हो गयी | इसी कारण इस समय को खरमास कहा गया।
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खरमास में शुभ कामों की होती है मनाही
खरमास का में खर का अर्थ है दुष्ट और मास का अर्थ होता है महीना। इसे दुष्टमास के नाम से भी जाना जाता है। सूर्यदेव और भगवान विष्णु की पूजा शुभ रहता है। खरमास के दौरान मांगलिक कार्य, विवाह और यज्ञोपवित जैसे शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता हैं। लेकिन पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए यह समय सर्वश्रेष्ठ होता है। इस समय में गरीबों को अन्न दान और वस्त्र दान करना चाहिए। इससे अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। साथ ही यह भी बता दूं कि सूर्य की संक्रांति के दौरान पुण्यकाल का बहुत महत्व होता है और सूर्य की संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 11 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। सूर्य की किसी भी संक्रांति में पुण्यकाल के दौरान गोदावरी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान का महत्व होता है।
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खरमास माह में न करें ये काम
- खरमास के माह में शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए। इसके साथ ही प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, दाल, तेल और दूषित अन्न को छोड़ देना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार सफेद धान, चावल, गेहूं, तिल, जौ, बथुआ, कंकडी, मंचावल, मूंग, शहतूत, सामक, मटर, पीपल, सौंठ, आंवला, सेंधा नमक, सुपारी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- खरमास में ताबें के बर्तन में रखा हुआ दूध और चमड़े में रखा हुआ पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।
- खरमाह के पूरे 30 दिनों में आपको साधारण जीवन जीना चाहिए। इसके लिए जमीन पर सोना, पत्तल पर खाना और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए।
- कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, नए कारोबार का प्रारंभ आदि कार्य नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।
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