आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है | शास्त्रों में पुरुषोत्तम मास का बड़ा ही महत्व बताया गया है। अधिक मास को मलमास के नाम से भी जाना जाता है और मलमास के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करने की मनाही होती है। कहा भी गया है -
यस्मिन चांद्रे न संक्रान्ति: सो अधिमासो निगह्यते
तत्र मंगल कार्यानि नैव कुर्यात कदाचन्।
अर्थात् जिस चन्द्र मास में सूर्य की कोई भी संक्रांति नहीं होती है, उसे अधिक मास कहते हैं। इस समय किसी भी तरह के शुभ कार्य, जैसे मुंडन, विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण या किसी भी तरह की नई चीज़ नहीं खरीदनी चाहिए। इस मास की व्यथा देखकर भगवान पुरुषोत्तम ने स्वयं इसे अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं।
मलमास में 160 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें कब से शुरू हो रहे हैं अधिक मास
अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुषोत्तमः।
तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः।।
जिस प्रकार मैं इस लोक में ʹपुरुषोत्तमʹ नाम से विख्यात हूं, उसी प्रकार यह मलमास भी इस लोक में ʹपुरुषोत्तमʹ नाम से प्रसिद्ध होगा। यह मास बाकी सब मासों का अधिकारी होगा और इसे सम्पूर्ण विश्व में पवित्र माना जायेगा। अतः इस मास में पूजा करने वाले लोगों को दरिद्रता से मुक्ति मिलेगी और उनके घर में सुख-शांति बनी रहेगी। इस मास में भगवान पुरुषोत्तम की उपासना करने वाले को हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होगी। आपको बता दूं कि यह पुरुषोत्तम मास आज 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा।
महर्षि वाल्मीकि ने पुरुषोत्तम मास के व्रत नियमादि के सम्बन्ध में कहा है कि इस मास में किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस माह के दौरान भूमि शयन करना चाहिए और केवल एक ही समय भोजन करना चाहिए।
मलमास में करे इन चीजों का सेवन
- गेहूं
- चावल
- सफेद धान
- मूंग
- जौ
- तिल
- मटर
- बथुआ
- सामक
- ककड़ी
- केला
- घी
- कटहल
- आम
- पीपल
- जीरा
- सौंठ
- इमली
- सुपारी
- आंवला
- सेंधा नमक आदि का सेवन करे।
मलमाल में न करें इन चीजों का सेवन
- शहद
- चौलाई
- उड़द
- राई
- प्याज
- लहसुन
- गोभी
- गाजर
- मूली
- दाल
- तिल का तेल
- नागरमोथा
- मांस आदि का सेवन न करें।
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