धर्म डेस्क: आज से यानि की बुधवार से अधिक ज्येष्ठ मास शुरू हो रहा है। इसके साथ ही अधिक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। शास्त्रों में इस पुरुषोत्तम मास का बड़ा ही महत्व बताया गया है। इस मास में भगवान पुरुषोत्तम की उपासना करने वाले को हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होगी। यह पुरुषोत्तम मास 16 मई से शुरू होकर 13 जून तक रहेगा।
अधिक मास को मलमास के नाम से भी जाना जाता है और मलमास के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करने की मनाही होती है। कहा भी गया है-
यस्मिन चांद्रे न संक्रान्ति: सो अधिमासो निगह्यते
तत्र मंगल कार्यानि नैव कुर्यात कदाचन्।
अर्थात् जिस चन्द्र मास में सूर्य की कोई भी संक्रांति नहीं होती है, उसे अधिक मास कहते हैं।
इस समय किसी भी तरह के शुभ कार्य, जैसे मुंडन, विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण या किसी भी तरह की नई चीज़ नहीं खरीदनी चाहिए। उल्लेख मिलता है कि इस मास का अपना कोई स्वामी नहीं है। इसलिए देव-पितर आदि की पूजा और मंगल कार्यों के लिये यह मास त्याज्य माना जाता था, लेकिन निन्दित माने जाने वाले इस मास की व्यथा देखकर भगवान पुरुषोत्तम ने स्वयं इसे अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं।
अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुषोत्तमः।
तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः।।
जिस प्रकार मैं इस लोक में पुरुषोत्तम नाम से विख्यात हूँ, उसी प्रकार यह मलमास भी इस लोक में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध होगा।
न करें ये काम
इन माह में मांसाहारी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही प्याज, लहसुन, गाजर, मूलू, दाल, तेल और दूषित अन्य को छोड़ देना चाहिए।
इस माह में इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, इसके अनुसार सफेद धान, चावल, गेहूं, तिल, जौ, बथुआ, कंकडी, मंचावल, मूंग, शहतूत, सामक, मटर, पीपल, सौंठ, आंवला, सेंधा नमक, सुपारी आदि का सेवन नहीं करना चाहए।
वीडियों में जानें और कौन से काम मलमास में नहीं करना चाहिए:
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