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मकर संक्रांति 2020: खिचड़ी से जुड़ा है गोरखनाथ मंदिर और ज्वाला देवी का अनोखा संबंध, जानिए यहां

भगवान गोरक्षनाथ को पहली खिचड़ी गोरक्षपीठाधीश्वर चढ़ाते हैं और फिर नेपाल नरेश की खिचड़ी चढ़ाई जाती है।

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15 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। स्नान-दान का यह पर्व खिचड़ी के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि गोरखपुर में भगवान गोरक्षनाथ वास करते हैं और उनका सबसे पसंदीदा भोजन खिचड़ी है। यही वजह है कि भगवान गोरक्षनाथ को मंकर संक्रांति पर खिचड़ी चढ़ाई जाती है। फिर प्रसाद के रूप में भक्तों को भी खिचड़ी दी जाती है। भगवान गोरक्षनाथ को पहली खिचड़ी गोरक्षपीठाधीश्वर चढ़ाते हैं और फिर नेपाल नरेश की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। क्या आपको पता है कि गोरखनाथ मंदिर और ज्वाला देवी का अनोखा कनेक्शन है। अगर नहीं पता तो ये खबर जरूर पढ़ें। 

ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोरक्षनाथ ज्वाला देवी के घर पर खाना खाने गए थे, लेकिन वहां उन्हें तामसी भोजन दिया गया, जिसे खाने से उन्होंने इनकार कर दिया। ज्वाला देवी के आग्रह करने पर गोरक्षनाथ ने उन्हें पानी गर्म करने के लिए कहा और वो भिक्षाटन के लिए निकल गए। वो गोरखपुर तक पहुंच गए, लेकिन जिस खप्पर में वो भिक्षाटन कर रहे थे, वो आज तक भर नहीं पाया। इसी वजह से वहीं पर उन्होंने तपस्थली बनाई और रहने लगे। 

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मान्यता है कि हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी में जो पानी उबल रहा है, वो गोरक्षनाथ के लिए खिचड़ी बनाने के लिए उबल रहा है। 

गोरखनाथ मंदिर का नेपाल से भी गहरा नाता है। यहां के राजवंश परिवार का उद्भव भगवान गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ है। यही वजह है कि भगवान को दूसरी खिचड़ी नेपाल नरेश की चढ़ती है।

गोरखनाथ मंदिर में हर साल खिचड़ी पर हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था की पूरा इंतजाम किया जाता है।           

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