महाशिवरात्रि 2020 का त्योहार कल दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए मंदिरों में तैयारियां हो गई हैं। भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में भी विशेष पूजा अभिषेक की तैयारियां हो चुकी हैं। शिव अजर अमर हैं और उनके दिए ज्ञान की बात करें तो उनका ज्ञान आज भी हर शख्स के लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले समय में था। आज के युग में हम जान ही नहीं पाते कि हम क्या करें कि पुण्य प्राप्त कर सकें और क्या ऐसा न करें जो सबसे बड़े पाप का भागीदार बनाता हो।
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लेकिन भगवान शिव ने संस्कृत के केवल एक श्लोक के जरिए दुनिया के हर शख्स को सबसे बड़े पाप और सबसे बड़े पुण्य की जानकारी दी थी। कहते हैं कि एक बार शिव हिमालय में तपस्या कर रहे थे, उनके साथ माता पार्वती ने उनसे पूछा कि सबसे बड़ा पाप क्या है जो नहीं करना चाहिए और सबसे बड़े पुण्य के बारे में भी बताइए।
तब शिव ने पार्वती को दुनिया में सबसे बड़े पाप और पुण्य की जानकारी दी। शिव ने कहा नास्ति सत्यात् परो नानृतात् पातकं परम्। अर्थात सच बोलना और सम्मान देना सबसे बड़ा पुण्य है और हर जन्म में किए गए इस पुण्य का परिणाम अगले जन्मों में मिलता है। वहीं कपट और बेइमानी सबसे बड़ा पाप है।
नए जमाने में रोज की कपटभरी जिंदगी जीकर जो लोग पैसा कमा और बना रहे हैं वो अगले जन्म में इस पाप के परिणाम को भोगने के लिए तैयार रहेंगे। कुछ लोग तो इसी जन्म में अपने पापों के चलते सजा पाते हैं। वहीं सत्य बोलने वाले कुछ समय के लिए परेशान जरूर हों लेकिन अंत हमेशा अच्छा रहता है क्योंकि शास्त्रों में ही कहा गया है कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता।
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