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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Mahashivaratri 2021: कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा त्योहार है महाशिवरात्रि, खास होती है इसकी पूजन विधि

Mahashivaratri 2021: कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा त्योहार है महाशिवरात्रि, खास होती है इसकी पूजन विधि

महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कश्मीरी पंडित इसे 'हेरथ' के रूप में मनाते हैं।

Mahashivaratri 2021: कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा त्योहार है महाशिवरात्रि, खास होती है इसकी पूजनविधि- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/AASHISHKAUL Mahashivaratri 2021: कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा त्योहार है महाशिवरात्रि, खास होती है इसकी पूजनविधि

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कश्मीरी पंडित इसे 'हेरथ' के रूप में मनाते हैं। हेरथ संस्कृत भाषा से लिया गया है। जिसका हिंदी अर्थ है हररात्रि या शिवरात्रि। शिवरात्रि क पर्व कश्मीरी पंडितों के लिए भी काफी खास होता है। इस दिनों में हर कोई भगवान शिव को परिवार सहित घर पर स्थापित करते हैं। माना जाता हैं कि ऐसा करने से वटुकनाथ हर घर पर मेहमान के तौर पर आते हैं। इसकी तैयारियां एक माह पहले ही शुरू हो जाती है। 

आमतौर पर यह त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है।  इस पूजा को वटुकनाथ की पूजा कहा जाता है। इस त्योहार को दीवाली की तरह मनाया जाता है। 

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हेरथ की पूजा होती है खास

कश्मीरी पंडित महाशिवरात्रि का पर्व पूरे 3 दिन मनाते हैं। पूजा के लिए कलश सजाते हैं जोकि भगवान शिव के बारातियों के रूप में होते हैं। कई लोग पीतल के रूप में तो कई लोग मिट्टी के कलश रखते हैं। इसके साथ ही भगवान शिव, पार्वती और बरातियों की पूजा की जाती हैं। कलश और गागर में अखरोट भरे जाते हैं। जिसे चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव को रूप में सोनिपतुल की पूजा होती है। इसके बाद पंचामृत से स्नान के बाद महिमनापार के साथ बेलपत्र, फूल, धतूरा आदि चढ़ाते हैं। इसके बाद धूप-दीपक करने के बाद कलश में रखे हुए अखरोट को प्रसाद के रूप में बांटते हैं। 

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शिवरात्रि की रात को घर का एक सदस्य देवताओं को खिलाए खाने को छिपकर नीचे डालकर आता है। ऐसा माना जाता है कि उस समय सभी देवता घर में प्रवेश कर चुके होते हैं। इसके साथ ही शिवरात्रि की पूजा खत्म होती हैं। इसके साथ ही अगले दिन सभी एक-दूसरे को हेरथ मुबारक कहकर शिवरात्रि की शुभकामनाएं देते हैं। इसके साथ ही घर में मौजूद सदस्यों को तोहफे दिए जाते हैं।

अनेक परिवार महाशिवरात्रि के दिन पितरों का तर्पण भी करते हैं।  चावल के आटे की छोटी रोटियां खिलाई जाती है। 

शिवरात्रि के चौथे दिन को डून मावस कहते हैं। इसिदन चावल के आटे की रोटियां, अखरोट और  सब्जी में कमल ककड़ और गांठगोभी मुख्य होती हैं। इसे जम्मू-कश्मीर में मोंजी और नदरू नाम से जानते हैं। 

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