दीपावली में ऐसे करें विधि-विधान से श्री गणेश की पूजा, शुभ मूहुर्त
नई दिल्ली: दीपावाली हिन्दू धर्म का मुख्य पर्व है। रोशनी का पर्व माना जाने वाली दीवाली कार्तिक अमावस्या के दिन होती है। इस साल दीवाली 11 नवंबर 2015, बुधवार को है। इस दिन श्री गणेश
मुहूर्त (लाभ, अमृत) - सुबह 6:44 से 9:25 तक
मुहूर्त (शुभ) -सुबह 10:45 से 12:05 तक
मुहूर्त (चर, लाभ)- दोपहर 2: 45 से 5:26 तक
मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)- शाम 7:06 से 11:16 तक
ऐसे करें पूजा
सबसे पहले अपने को पवित्र करें। इसके लिए पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके खुद का तथा पूजन सामग्री पर जल छिड़कते हउए इस मंत्र को पढ़ें-
ऊं पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
इसके बाद इस मंत्र के साथ आचमन करें-
ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:
फिर हाथ धोएं, इसके बाद इस मंत्र को बोले-
ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता।
त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
ऊं महालक्ष्म्यै नम: मंत्र जप के साथ महालक्ष्मी के पास आचमनी से जल अर्पित करें।
अब शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए। इसके लिए अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।
इसके बाद अपने हाथ में फूल, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प करें कि हे महालक्ष्मी मैं आपका पूजन कर रहा हूं। इसके बाद उस सामग्री को लक्ष्मी जी के पास छोड़ दें।
ऐसे करें गणपति पूजन
हम कोई भी पूजा करते है, तो सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा करते है। इसके लिए अपने हाथ में एक फूल लें और गणपति का ध्यान करें और इस मंत्र को बोलें-
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
आवाहन: ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।।
तना कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें। साथ ही गणेश जी को फूल, कुमकुम, माला , पान, सुपाड़ी आदि चढाएं। फिर भोग लगाते हुए आचमन कर दें।
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