नई दिल्ली: हम लोग बचपन से ये बात सुनते चले आ रहे है कि कलयुग की समाप्ति जल्द आ रही है, लेकिन वो आज नहीं आई। कई विद्यवान मानते है कि जब इस धरती में पाप अपनी चरम सीमा पर होगा। साथ ही कहीं भी किसी देवी-देवता की पूजा नहीं होगी। वह दिन इस संसार का आखिरी दिन होगा।
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कलियुग की समाप्ति पर कई लोग मानते है कि इसकी समाप्ति नहीं होगी, क्योंकि इस दुनिया में लोग ज्यादा ही पूजा-पाठ करने लगे है। जिसके कारण ये संभव नहीं है।
दूसरी ओर ऐसा माना जाता है कि वेद और पुराणों में भविष्य में होने वाली हर घटना के बारें में पहले से ही बता दिया गया है। इसी तरह हिंदू धर्म के ग्रंथ भगवतपुराण में कलियुग के लेकर कुछ भविष्यवाणियां की गई है कि कब कलियुग अपनी चरम सीमा पर होगा। जानिए इन भविष्यवाणियों के बारें में।
- श्रीमद्भागवत के श्लोक 12.2.1 के अनुसार माना जाता है कि कलयुग अपनी चरम सीमा में तब होगा जब स्मरण शक्ति, स्वच्छता, दया, सत्यता, शारीरिक शक्ति आदि दिनों-दिन कम होती जाएगी।
- श्लोक 12.2.3 में बताया गया है कि कलियुग का अंत जब होगा। जब एक स्त्री-पुरुष सिर्फ शारीरिक आकर्षण के कारण साथ रहेगे। हर जगह हर काम छल-कपट के साथ होगे। स्त्री-पुरुण को केवल यौन क्रिया के रुप में देखा जाएगा साथ ही ब्राह्मण उसी व्यक्ति को माना जाएगा जो जनेऊ पहने होगा।
- श्लोक 12.2.5 में बताया गया है कि इसका अंत तब होगा जब धन-दौलत को किसी इंसान के सम्मान से देखी जाने लगेगी। छल से किसी भी काम को करने से मिली सफलता को उसका गुण माना जाएगा।
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