हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जयंती का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल मिलता है, क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी अवतरित हुई हुई थीं। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
पुराणों के अनुसार जब राक्षस और देवताओं के मध्य समुद्र मंथन हुआ था तब मां लक्ष्मी उद्भव हुआ था। जब दिन वह अवतरित हुई उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा था। कहा जाता है कि लक्ष्मी जयंती के दिन मां के 1008 नामों का उच्चारण करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।
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लक्ष्मी जयंती का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 28 मार्च सुबह 3 बजकर 27 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 29 मार्च सुबह 12 बजकर 17 मिनट तक
ऐसे करें लक्ष्मी पूजा
इस दिन ब्रह्न मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे और साफ वस्त्र पहनकर मां लक्ष्मी का ध्यान करे। अब मंदिर में आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए। इसके बाद एक चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
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अब लोटे में जलकर पहले आचमन करे। इसके बाद मां लक्ष्मी को लाल रंग का फूल चढ़ाएं। आप चाहे तो दूसरे रंग का भी चढ़ा सकते हैं। इसके बाद मां को सिंदूर लगाएं और इत्र भी चढ़ाए। इसके बाद मां को अपनी श्रद्धानुसार भोग लगाए। भोग लगाने के बाद जल अर्पित करे। इसके बाद धूप और दीपक जलाएं कर आरती करे। इसके बाद लक्ष्मी चालीसा और मंत्र का जाप करके विधि-विधान से आरती करें।
मां लक्ष्मी के मंत्र
मां लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप करने से आपको आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही जीवन में आ रही हर परेशानी से छुटकारा मिलेगा।
- ॐ धनाय नम:
- धनाय नमो नम:
- ओम लक्ष्मी नम:
- ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
- पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
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