kushmanda devi temple
इस मंदिर का निर्माण
इस मंदिर के सामने भगवान हनुमान की विशालकाय मूर्ति स्थापित की गई है। जो मां कुष्मांडा देवी की रक्षा कर रहे है। इस मंदिर में स्थापित पिंड से पानी निकलने के बारें में कहा जाता है कि सूर्योदय के समय स्नान करके मां की पूजा कर इस रिसते पानी का सेवन करने से गंभीर से गंभीर बीमारी सही हो जाती है।
इस मंदिर को मां कुष्मांडा आदि शक्ति के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के निर्माण और घाटमपुर बसाने के बारें में बताया गया है कि सन 1783 में कवि उम्मेदराव खरे द्वारा लिखित एक फारसी पुस्तक के अनुसार सन् 1380 में राजा घाटमदेव ने यहां पर मां के दर्शन किएं। और अपने नाम से घाटनपुर कस्बे का निर्माण किया। पुन: इस मंदिर का निर्माण सन् 1890 में स्व. श्री चंदीदीन न करवाया बाद में हां रहने वाले बंजारों से मठ की स्थापना की।
मान्यता है कि इस मंदिर में सबसे मन से कोई भी मुराद पूर्ण हो जाती है। बड़ी से बड़ी यहां आने से पूर्ण हो जाती है। साथ ही मान्यता है कि जिन लोगों की मुराद पूर्ण हो जाती है। वह मां के दरबार में आकर भंडारा कराते है और एक ईट की नींव भी रखते है।
ये भी पढ़े-
Latest Lifestyle News