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जानिए, नवरात्र में कन्या पूजन है क्यों महत्वपूर्ण?

नवरात्र के सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का अधिक महत्व होता है। इस दौरान कन्याओ को ससम्मान घर में बुालकर आवभगत किया जाता है। जानिए इसके पीछे क्या है कारण.....

कन्या पूजन

ऐसे करें कन्या पूजन
कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है। इसके बाद जब वह घर आए तो गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं। इसके बाद कन्याओं को साफ-सुथरी और शुद्ध कपड़े में बिठाएं।

फिर एक थाल में दूध और पानी मिलाकर उन कन्याओं के पैर धोएं और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। इसके बाद उनके माथे पर अक्षत फूल, कुमकुम लगाएं। और मां भगवती का ध्यान करते हुए उन्हे भोजन दे। और भरपेट भोजन करना के बाद अपनी इच्छानुसार उन्हे दक्षिणा, उपहार दें।  फिर पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

बदले अपना नजरिया कन्याओ के प्रति
भारत में नवरात्रों के समय तो कन्याओं को मां दुर्गा मान पूजा की जाती है, लेकिन इसके बाद हम उनका शोषण करना शुरु कर देते है। जहां आज भी दूर-दराज गांवों में कन्याओं का होना शाप माना जाता है जन्म लेने ले पहले ही उन्हे मार दिया जाता है। जो कि बहुत ही खराब बात है। क्या आपने कभी सोचा कि जिस कन्याओं को हम नवरात्र में पूजा करते है।

अगर उनका शोषण और इस तरह मृत्युदर बढती गई तो कुछ समय बाद में नवरात्र में भी कन्या पूजन के लिे कन्याएं नहीं मिलेगी। इसलिए हमें कन्याओं और महिलाओं के प्रति अपने नजरिया हो बदलना होगा। इनका आदर करना ईश्‍वर की पूजा करने जितना पुण्‍य देता है। शास्‍त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्‍मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं।

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